NEET PG 2025: रिजल्ट और आंसर की पर विवाद, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला !!

NEET PG 2025: देश की सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET PG 2025 इस साल विवादों में घिर गई है। 3 अगस्त को आयोजित हुई इस परीक्षा का रिजल्ट 19 अगस्त को घोषित किया गया, जबकि 29 अगस्त को आंसर की जारी की गई। इसके बाद से

EDITED BY: Vishal Yadav

UPDATED: Thursday, September 11, 2025

NEET PG 2025: रिजल्ट और आंसर की पर विवाद, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला !!

NEET PG 2025: देश की सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET PG 2025 इस साल विवादों में घिर गई है। 3 अगस्त को आयोजित हुई इस परीक्षा का रिजल्ट 19 अगस्त को घोषित किया गया, जबकि 29 अगस्त को आंसर की जारी की गई। इसके बाद से ही छात्रों ने नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज (NBEMS) पर पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया। मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है।

NEET PG 2025: परीक्षा का ओवरव्यू

NEET PG 2025 का आयोजन देशभर के 301 शहरों और 1,052 सेंटरों पर ऑनलाइन मोड में किया गया। करीब 2.42 लाख उम्मीदवारों ने इसमें हिस्सा लिया। शुरुआत में NBEMS का प्लान था कि परीक्षा दो शिफ्ट में होगी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे केवल एक शिफ्ट में कराया गया। इससे नॉर्मलाइजेशन को लेकर होने वाले विवाद से बचा जा सका।

परीक्षा में कुल 200 प्रश्न पूछे गए, जिन्हें हल करने के लिए चार-चार ऑप्शंस दिए गए। हालांकि, जब रिजल्ट और आंसर की आई, तभी से गड़बड़ियों की शिकायतें उठने लगीं।

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छात्रों के आरोप

छात्रों का कहना है कि –

  • रिजल्ट और आंसर की में बड़े पैमाने पर अंतर है, जो 100 से 200 अंकों तक बताया जा रहा है।

  • आंसर की बिना सवालों के जारी की गई। केवल क्वेश्चन आईडी और उनके उत्तर दिखाए गए, जिससे मिलान करना लगभग असंभव था।

  • परीक्षा के दौरान कई तकनीकी गड़बड़ियां हुईं। कुछ का दावा है कि उन्होंने ऑप्शन बदलने की कोशिश की, लेकिन सिस्टम ने अपडेट नहीं किया।

  • कई उम्मीदवारों ने कहा कि उन्होंने जितने प्रश्न अटेम्प्ट किए, उससे कम या ज्यादा दिखाया गया।

डॉ. दिव्यांश नामक उम्मीदवार ने आरोप लगाया, “मैंने 200 क्वेश्चन अटेम्प्ट किए थे, लेकिन मेरी शीट में 194 दिखाए गए। रिजल्ट में तो 195 अटेम्प्ट दर्ज थे। इतना ही नहीं, मेरे 200 नंबर तक गलत गिने गए।”

NEET PG 2025: रिजल्ट और आंसर की पर विवाद, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

आंसर की पर सबसे बड़ा विवाद

NBEMS ने 21 अगस्त को एक नोटिस जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि उम्मीदवारों को आंसर की, रिस्पांस शीट और पूरा क्वेश्चन पेपर दिया जाएगा। इसे छात्रों ने पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम बताया।

लेकिन, कुछ ही घंटों बाद NBEMS ने दूसरी नोटिस जारी कर दी। इसमें साफ किया गया कि पूरा क्वेश्चन पेपर नहीं दिया जाएगा। केवल क्वेश्चन आईडी, उम्मीदवार का चयन और सही उत्तर ही दिखाए जाएंगे।

यही निर्णय विवाद का असली कारण बना। छात्रों का कहना है कि बिना पूरा सवाल देखे रिजल्ट को वेरिफाई करना संभव नहीं है।

रिकॉल सिस्टम और उसकी सीमाएं

पारंपरिक रूप से मेडिकल कोचिंग संस्थान परीक्षा के दिन छात्रों से पूछकर पेपर का एक रिकॉल सेट तैयार करते हैं। फिर टीचर्स उसके उत्तर बनाकर वीडियो जारी करते हैं। कई उम्मीदवार इन्हीं रिकॉल से अपने मार्क्स का अनुमान लगाते हैं।

पिछले वर्षों में इस आधार पर छात्रों और असली रिजल्ट के बीच केवल 5–10 अंकों का अंतर आता था। लेकिन इस बार कई छात्रों ने दावा किया है कि उनका अंतर 120–200 अंकों तक पहुंचा।

हालांकि, कुछ उम्मीदवारों का कहना है कि रिकॉल सिस्टम खुद पूरी तरह विश्वसनीय नहीं है। उनका मानना है कि इतने बड़े स्तर पर सभी सवाल और उनके ऑप्शंस छात्रों को सही याद रहना मुश्किल है।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

छात्रों ने NBEMS की इस प्रक्रिया को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ताओं ने मांग की कि –

  1. NBEMS पूरा क्वेश्चन पेपर और आंसर की जारी करे।

  2. जब तक जांच पूरी न हो, NEET PG 2025 की काउंसलिंग रोकी जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों की यह दलील सुनी, लेकिन काउंसलिंग रोकने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि प्रक्रिया तय शेड्यूल के अनुसार चलेगी। हालांकि कोर्ट ने NBEMS से सभी दस्तावेज पेश करने का आदेश दिया और अगली सुनवाई 12 सितंबर को निर्धारित की है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि केवल इसलिए कि आपके नंबर कम आए हैं, इसका मतलब यह नहीं कि पारदर्शिता नहीं थी। अदालत ने चेतावनी दी कि कई बार आर्टिकल 32 का दुरुपयोग करके सिस्टम पर बार-बार सवाल उठाए जाते हैं।

NEET UG और NEET PG में फर्क

छात्रों की तुलना NEET UG से की जा रही है। NEET UG ऑफलाइन होता है और उसमें OMR शीट दी जाती है। जब रिजल्ट आता है तो OMR शीट की कॉपी भी उम्मीदवारों को मिलती है, जिससे वे खुद सही-गलत का मिलान कर सकते हैं।

लेकिन NEET PG पूरी तरह कंप्यूटर आधारित परीक्षा है। छात्रों की मांग है कि इसमें भी पारदर्शिता के लिए OMR जैसा सिस्टम लागू होना चाहिए।

NEET PG 2025 अब केवल एक प्रवेश परीक्षा नहीं रह गई है, बल्कि यह पारदर्शिता बनाम प्रक्रिया की बहस बन चुका है। एक ओर NBEMS का तर्क है कि सवालों का सीमित बैंक है, इसलिए पूरा पेपर जारी करना संभव नहीं। वहीं, दूसरी ओर उम्मीदवारों का कहना है कि जब तक क्वेश्चन पेपर और आंसर की पूरी तरह सार्वजनिक नहीं किए जाते, तब तक रिजल्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

अब सबकी निगाहें 12 सितंबर की सुनवाई पर टिकी हैं। यही तय करेगा कि NEET PG 2025 विवाद का अंत कैसे होगा और भविष्य में मेडिकल परीक्षाओं की पारदर्शिता किस दिशा में जाएगी।

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