UP PGT: उत्तर प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं का हाल लगातार सवालों के घेरे में है। भर्ती की घोषणा, फॉर्म भरने, एडमिट कार्ड जारी होने तक सबकुछ होता है, लेकिन अंतिम समय पर परीक्षा स्थगित कर दी जाती है। इसी कड़ी में अब 15 और 16 अक्टूबर 2025 को होने वाली UP PGT भर्ती परीक्षा को भी स्थगित कर दिया गया है।
UP PGT: बार-बार स्थगित होती परीक्षाएं
उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग (UPESSC) के उप सचिव की ओर से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि “अपरिहार्य कारणों” से परीक्षा फिलहाल स्थगित की जा रही है। नई तारीख आयोग की वेबसाइट पर बाद में घोषित की जाएगी।
दरअसल, 22 सितंबर 2025 को आयोग की अध्यक्ष कीर्ति पांडे ने इस्तीफा दे दिया था। तभी से यह अटकलें तेज हो गई थीं कि पीजीटी और टीजीटी की परीक्षाओं पर इसका असर पड़ेगा। फिलहाल कार्यवाहक अध्यक्ष जिम्मेदारी संभाल रहे हैं और नए अध्यक्ष की नियुक्ति प्रक्रिया जारी है।
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2022 से अधर में भर्ती प्रक्रिया
पीजीटी और टीजीटी भर्ती की प्रक्रिया 9 जून 2022 को शुरू की गई थी। इस भर्ती के तहत 3539 टीजीटी और 624 पीजीटी पदों पर नियुक्तियां होनी थीं। आवेदन की अंतिम तिथि 9 जुलाई 2022 थी, जिसे बढ़ाकर 16 जुलाई 2022 किया गया था।
इसके बावजूद अब तक केवल तिथियों की घोषणाएं और स्थगन ही हुए हैं। पीजीटी परीक्षा के लिए लगभग 4500 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, जबकि टीजीटी परीक्षा के लिए करीब 89,000 उम्मीदवारों ने फॉर्म भरे थे। कुल मिलाकर 1.3 लाख से अधिक अभ्यर्थी तीन साल से इस परीक्षा का इंतजार कर रहे हैं।
उम्मीदवारों का गुस्सा सोशल मीडिया पर फूटा
परीक्षा रद्द होने की सूचना मिलते ही ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा। एक यूजर ने लिखा, “2022 में फॉर्म भरे, 2 साल आयोग बनाने में निकाल दिए। अब 13 लाख से ज्यादा युवाओं का भविष्य अधर में लटका है।”
दूसरे यूजर ने लिखा, “यह परीक्षा है या युवाओं के साथ मजाक? मल्टी इंजन सरकार परीक्षा कराने में मल्टी ईयर से फेल।”
क्या मिलेगी स्थायी समाधान?
विशेषज्ञ मानते हैं कि जब तक आयोग में स्थिर नेतृत्व और स्पष्ट रोडमैप नहीं होगा, तब तक ऐसी परीक्षाएं समय पर आयोजित नहीं हो पाएंगी। अब नजरें नए अध्यक्ष की नियुक्ति पर टिकी हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि उनके आने के बाद ही भर्ती प्रक्रिया में गति आएगी।
फिलहाल छात्रों में निराशा और गुस्सा है। तीन साल से लगातार मेहनत कर रहे अभ्यर्थियों की उम्मीदें हर बार अधर में लटक रही हैं। यह केवल युवाओं के करियर का नहीं, बल्कि प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था का भी सवाल है।