Udaipur Files: राजस्थान के बहुचर्चित कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म ‘Udaipur Files’ को आखिरकार सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) से हरी झंडी मिल गई है। लंबे समय से विवादों और कानूनी अड़चनों का सामना करने के बाद यह फिल्म आज देशभर के लगभग 4500 सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है।
यह फिल्म 28 जून 2022 को राजस्थान के उदयपुर में हुई उस दिल दहला देने वाली घटना पर आधारित है, जिसने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था। कन्हैयालाल, जो एक दर्जी थे, को दिनदहाड़े उनकी दुकान में घुसकर दो व्यक्तियों ने निर्ममता से मार डाला था। इस घटना के वीडियो ने सोशल मीडिया और न्यूज चैनलों पर तहलका मचा दिया था। हत्या के पीछे धार्मिक कट्टरता और सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर विवाद की बात सामने आई थी।
Udaipur Files फिल्म की कहानी और मकसद
निर्माताओं के अनुसार, ‘Udaipur Files’ का उद्देश्य इस सच्ची घटना को तथ्यों के साथ दर्शकों तक पहुंचाना है, ताकि समाज में धार्मिक असहिष्णुता, कट्टरपंथ और नफरत फैलाने वाली मानसिकता के खतरों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके। फिल्म का निर्देशन अनुभवी फिल्ममेकर द्वारा किया गया है, जिन्होंने पहले भी सच्ची घटनाओं पर आधारित कई गंभीर विषयों को पर्दे पर उतारा है।
फिल्म में घटनाक्रम को नाटकीय रूप देने के साथ-साथ जांच, आरोपियों की गिरफ्तारी और घटना के बाद की सामाजिक व राजनीतिक प्रतिक्रियाओं को भी दिखाया गया है। मेकर्स का कहना है कि उन्होंने कोशिश की है कि फिल्म में तथ्यों से समझौता न हो और संवेदनशील मुद्दे को जिम्मेदारी के साथ पेश किया जाए।
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सेंसर बोर्ड से जुड़ी अड़चनें
‘Udaipur Files’ को रिलीज से पहले कई बार सेंसर बोर्ड से आपत्तियों और कट लिस्ट का सामना करना पड़ा। सूत्रों के अनुसार, बोर्ड ने कुछ संवादों और दृश्यों को लेकर चिंता जताई थी, जिन्हें बाद में संपादित किया गया। निर्माताओं का दावा है कि फिल्म में किसी भी धर्म या समुदाय को निशाना बनाने का इरादा नहीं है, बल्कि यह घटना के पीछे की सच्चाई को उजागर करने का प्रयास है।
कानूनी विवाद और विरोध
रिलीज से पहले फिल्म को लेकर विभिन्न सामाजिक संगठनों और कुछ राजनीतिक दलों ने विरोध जताया था। उनका कहना था कि इस तरह की फिल्में समाज में तनाव बढ़ा सकती हैं। वहीं, समर्थकों का तर्क था कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के तहत ऐसी घटनाओं पर फिल्म बनाना पूरी तरह से जायज़ है और यह समाज को सच का सामना कराने का एक माध्यम है।
कुछ संगठनों ने अदालत का दरवाजा भी खटखटाया, लेकिन हाल ही में अदालत ने सेंसर बोर्ड के फैसले को बरकरार रखते हुए फिल्म की रिलीज की राह साफ कर दी।
रिलीज और दर्शकों की उम्मीदें
‘Udaipur Files’ को आज से देशभर में बड़े पैमाने पर रिलीज किया जा रहा है। करीब 4500 स्क्रीन पर एक साथ रिलीज होना किसी भी गंभीर विषय वाली फिल्म के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। फिल्म ट्रेड विश्लेषकों का मानना है कि शुरुआती दिनों में इस फिल्म को मिश्रित प्रतिक्रिया मिल सकती है, लेकिन संवेदनशील विषय और सच्ची घटना पर आधारित होने के कारण यह चर्चा में बनी रह सकती है।
सोशल मीडिया पर भी फिल्म को लेकर लोगों में उत्सुकता है। कई यूजर्स का कहना है कि वे इस फिल्म को सिर्फ एक सिनेमाई अनुभव के तौर पर नहीं, बल्कि एक डॉक्यूमेंट्री जैसे तथ्यात्मक चित्रण के रूप में देखना चाहते हैं।
घटना की पृष्ठभूमि
उदयपुर में हुई कन्हैयालाल की हत्या ने न सिर्फ राजस्थान, बल्कि पूरे देश में आक्रोश की लहर पैदा कर दी थी। इस घटना के बाद कई शहरों में विरोध-प्रदर्शन हुए और सरकार ने आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मामले की जांच अपने हाथ में ली थी और इसे आतंकी साजिश के तौर पर देखा गया था।
फिल्म के जरिए निर्माताओं ने इस घटना के सभी पहलुओं को सामने लाने का प्रयास किया है—चाहे वह घटना से पहले के हालात हों, हत्या का तरीका हो या उसके बाद की कानूनी कार्रवाई और सामाजिक प्रभाव।
आज जब ‘Udaipur Files’ बड़े पर्दे पर उतर रही है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि दर्शक इस संवेदनशील और दर्दनाक घटना पर आधारित फिल्म को किस नजरिए से देखते हैं—एक कला रूप में, एक सच्ची घटना के दस्तावेज के रूप में, या समाज के लिए एक चेतावनी के रूप में।