SSC CGL: SSC की कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल (SSC CGL) परीक्षा आज यानी 12 सितंबर से शुरू हुई, लेकिन पहले ही दिन व्यवस्था की पोल खुल गई। यह परीक्षाएं 12 से 26 सितंबर तक देश के 129 शहरों के 260 केंद्रों पर आयोजित होनी हैं, जिनके लिए करीब 28 लाख उम्मीदवारों ने रजिस्ट्रेशन कराया है।
SSC CGL में क्या हुई गड़बड़ी ?
परीक्षा के पहले दिन कई केंद्रों पर छात्रों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। कहीं समय पर एंट्री नहीं मिली, तो कहीं सर्वर डाउन होने के कारण लॉग इन नहीं हो पाया। कुछ केंद्रों पर खराब व्यवस्था के चलते परीक्षा ही रद्द हो गई। अभी तक जिन केंद्रों पर छात्रों को दिक्कत हुई है, उनमें दिल्ली, कानपुर, हरियाणा, जम्मू और झारखंड के केंद्र शामिल हैं। परीक्षा तीन शिफ्टों में आयोजित होनी थी: पहली शिफ्ट सुबह 9:00 से 10:00 बजे, दूसरी 11:45 से 12:45 तक और तीसरी 2:30 से 3:30 बजे तक।

सुबह से ही सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें केंद्रों के बाहर खड़े छात्र परेशान नजर आ रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं। गुरुग्राम के एक केंद्र के बाहर से एक वीडियो सामने आया, जिसमें छात्र इनविजिलेटर से बहस करते और “एसएससी हाय हाय” तथा “वी वांट जस्टिस” के नारे लगाते दिख रहे हैं। गुरुग्राम के अलावा दिल्ली और जम्मू के केंद्रों पर भी छात्रों को काफी परेशानी हुई। वहीं, उत्तर प्रदेश के कानपुर के एक केंद्र पर छात्रों को सीट ही नहीं मिल पाई। छात्रों ने आरोप लगाया कि केंद्र के बाहर 25-26 छात्र ऐसे थे, जिनकी परीक्षा नहीं हो पाई।
एक छात्र ने बताया, “कानपुर में मेरा केंद्र था। एसएससी सीजीएल की पहली शिफ्ट में मेरा रजिस्ट्रेशन ही नहीं हो पाया। बायोमेट्रिक में नाम ही नहीं आया, इसलिए मैं परीक्षा नहीं दे पाया। आधे छात्र परीक्षा दे चुके हैं, लेकिन आधे को मौका ही नहीं मिला। वे बता रहे हैं कि सर्वर इशू है। इस वजह से हमारी परीक्षा नहीं हुई। हम 25-26 लोग हैं, जिनकी परीक्षा नहीं हो पाई। अब देखते हैं क्या होता है, और आगे की परीक्षाएं होंगी या नहीं। हम प्रशासन से बात कर रहे हैं।“
SSC की लगातार ख़राब हालत, अब SSC CGL में भी ?
यह स्थिति केवल एक दिन या एक परीक्षा की नहीं है। SSC की परीक्षाओं में इस तरह की गड़बड़ियां बार-बार सामने आती रही हैं। पेपर लीक की घटनाएं हों या अंतिम समय पर परीक्षा स्थगित करने के फैसले, हर बार लाखों उम्मीदवारों का समय और प्रयास बर्बाद होता है। आयोग हर बार जांच का आश्वासन देता है, लेकिन स्थितियों में सुधार नहीं दिखता। 2018 और 2021 की परीक्षाओं में भी ऐसे विवाद हुए थे, जिनके खिलाफ उम्मीदवारों ने सड़कों पर प्रदर्शन किया था।
छात्र संगठनों का कहना है कि अगर बार-बार ऐसा होता रहा, तो एसएससी की विश्वसनीयता पर संकट खड़ा हो जाएगा। परीक्षा की तैयारी में महीनों मेहनत करने वाले उम्मीदवारों के लिए यह केवल एकेडमिक बाधा नहीं, बल्कि मानसिक और आर्थिक बोझ भी है। इस बार की अव्यवस्था ने एसएससी की कार्यशैली पर फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।
