Nitin Gadkari, Nitin Gadkari E20 : केंद्रीय मंत्री Nitin Gadkari ने नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बड़ा बयान देते हुए कहा कि उनके दिमाग की कीमत ₹200 करोड़ है। इस बयान के बाद से राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। विपक्ष और ऑटोमोबाइल सेक्टर के कुछ विशेषज्ञ इसे सीधे-सीधे सरकार की एथेनॉल नीति और गडकरी परिवार की कंपनियों से जोड़कर देख रहे हैं।
Nitin Gadkari E20 : नागपुर में दिया बयान
13 सितंबर को नागपुर में एग्री क्रॉस वेलफेयर सोसाइटी के एक कार्यक्रम में गडकरी ने कहा:
“आजकल मैं दिमाग से कमाई कर रहा हूँ। मेरे दिमाग की कीमत ₹200 करोड़ है। मुझे पैसे की कोई कमी नहीं है और मैं ईमानदारी से काम कर रहा हूँ।”
गडकरी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब एथेनॉल नीति को लेकर उन पर और उनके परिवार पर विपक्ष लगातार हमले कर रहा है।
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एथेनॉल पॉलिसी पर सवाल
भारत सरकार ने हाल ही में पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य तय समय सीमा से पहले हासिल करने का दावा किया। सरकार के मुताबिक, 2014 में जहां एथेनॉल उत्पादन 38 करोड़ लीटर था, वहीं जून 2025 तक यह बढ़कर 661.1 करोड़ लीटर हो गया है।
लेकिन विपक्ष का आरोप है कि इस नीति से गडकरी परिवार को सीधा फायदा हुआ है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया था कि गडकरी के दोनों बेटों – निखिल गडकरी और सारंग गडकरी – की कंपनियां एथेनॉल प्रोडक्शन में सक्रिय हैं।
निखिल गडकरी की कंपनी पर आरोप
खेड़ा का कहना था कि निखिल गडकरी की कंपनी सियान एग्रो का राजस्व जून 2024 में ₹18 करोड़ था, जो जून 2025 में बढ़कर ₹723 करोड़ हो गया। कंपनी के शेयर की कीमत भी जनवरी 2025 में ₹37 से बढ़कर सितंबर 2025 तक ₹638 तक पहुंच गई। यानी लगभग 2184% की वृद्धि हुई।
खेड़ा ने आरोप लगाया कि सरकार ने समय से पहले एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया ताकि गडकरी परिवार की कंपनियों को आर्थिक लाभ हो सके।
विपक्ष के आरोप और गडकरी का जवाब
कांग्रेस समेत विपक्षी दल लगातार गडकरी पर निशाना साध रहे हैं। उनका कहना है कि मंत्री नीति बना रहे हैं और उनके परिवार की कंपनियां उससे फायदा उठा रही हैं।
हालांकि गडकरी पहले भी इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित पेड कैंपेन बता चुके हैं। अब उनके ताजा बयान को विपक्षी आरोपों का सीधा जवाब माना जा रहा है।
ऑटोमोबाइल सेक्टर की चिंता
सिर्फ राजनीति ही नहीं, बल्कि ऑटो सेक्टर का एक धड़ा भी इस पॉलिसी पर सवाल उठा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि 20% एथेनॉल मिश्रण से वाहनों की कार्यक्षमता पर असर पड़ सकता है और लंबे समय में तकनीकी चुनौतियाँ खड़ी हो सकती हैं।
राजनीतिक और आर्थिक मायने
गडकरी के बयान और विपक्ष के आरोपों ने एथेनॉल नीति को लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है।
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एक ओर सरकार इसे आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ी उपलब्धि बता रही है।
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दूसरी ओर विपक्ष और आलोचक इसे हितों का टकराव (conflict of interest) मानते हुए सवाल उठा रहे हैं।
Nitin Gadkari का “मेरे दिमाग की कीमत ₹200 करोड़” वाला बयान सिर्फ एक निजी अभिव्यक्ति नहीं माना जा रहा, बल्कि इसे हालिया विवादों के बीच उनका जवाब भी समझा जा रहा है। अब देखना यह होगा कि विपक्ष के आरोपों और ऑटो सेक्टर की चिंताओं के बीच सरकार अपनी एथेनॉल पॉलिसी पर कैसे सफाई देती है और आने वाले समय में यह मुद्दा राजनीति में किस दिशा में जाता है।