NIA Investigation: Pakistan Spy Network का खुलासा, छोटे दुकानदारों से लेकर Forex तक फैला जासूसी फंड !!

NIA Investigation, Pakistan Spy Network : भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने एक बार फिर पाकिस्तान के जासूसी नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की जांच में सामने आया है कि कैसे भारत के छोटे-छोटे दुकानदार और कारोबारियों को बिना जानकारी के इस्तेमाल करके पाकिस्तान

EDITED BY: Vishal Yadav

UPDATED: Monday, September 22, 2025

NIA Investigation: Pakistan Spy Network का खुलासा, छोटे दुकानदारों से लेकर Forex तक फैला जासूसी फंड !!

NIA Investigation, Pakistan Spy Network : भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने एक बार फिर पाकिस्तान के जासूसी नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की जांच में सामने आया है कि कैसे भारत के छोटे-छोटे दुकानदार और कारोबारियों को बिना जानकारी के इस्तेमाल करके पाकिस्तान के लिए जासूसी का पूरा फाइनेंशियल नेटवर्क खड़ा किया गया था।

छोटे दुकानदारों से कैसे शुरू हुई कहानी ?

छोटे बुटीक मालिकों और कपड़ा व्यापारियों को लगता था कि वह पाकिस्तान से आए सूट और कपड़े खरीद रहे हैं और उसके लिए पेमेंट कर रहे हैं। लेकिन हकीकत में यह पैसा सीधे-सीधे उन लोगों तक पहुंच रहा था जो भारत में जासूसी गतिविधियों को फंड कर रहे थे।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस नेटवर्क का बड़ा खुलासा तब हुआ जब सीआरपीएफ के असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर मोतीराम जाट को NIA ने 27 मई को गिरफ्तार किया। आरोप है कि मोतीराम पाकिस्तान के एजेंट्स को गुप्त जानकारी दे रहा था। जांच में पता चला कि उसके बैंक अकाउंट में अक्टूबर 2023 से अप्रैल 2025 के बीच ₹1,90,000 की संदिग्ध एंट्री हुई थी। यह रकम अलग-अलग चैनलों से उसके और उसकी पत्नी के अकाउंट में भेजी गई थी।

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सीआरपीएफ सब इंस्पेक्टर मोती राम जाट पाकिस्तान के लिए जासूसी में गिरफ्तार. -  News18 हिंदी
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पैसों का नेटवर्क कैसे चलता था?

NIA की जांच से तीन बड़े रास्ते सामने आए जिनके जरिए पाकिस्तान से भारत में पैसा पहुंचाया जाता था:

  1. अंतरराष्ट्रीय व्यापार चैनल
    कपड़े, गहने, बीज और फुटवियर जैसे सामान के नाम पर पेमेंट किया जाता था। पुलवामा हमले के बाद जब भारत ने पाकिस्तान से सीधे आयात पर 200% ड्यूटी लगा दी, तो यह सामान दुबई और अन्य जगहों से बिचौलियों के जरिए भारत लाया जाने लगा। दुकानदारों से कहा जाता था कि UPI के जरिए 1,000 से 35,000 रुपये तक की रकम कुछ मोबाइल नंबरों पर भेजें, लेकिन यह पैसा वास्तव में जासूसी नेटवर्क में जा रहा था।

  2. फॉरेक्स ऑपरेशन
    बैंकॉक में रहने वाले भारतीय मूल के लोग इसमें शामिल थे। वे भारतीय टूरिस्ट को बेहतर एक्सचेंज रेट दिखाकर नकद थाई मुद्रा लेते और बदले में भारत में उनके रिश्तेदारों के अकाउंट में पैसे डालते। यह सब आधिकारिक चैनल से बाहर होता, जिससे जासूसी नेटवर्क को छिपने का मौका मिलता।

  3. मोबाइल दुकानदारों के जरिए हवाला
    दिल्ली और मुंबई में कुछ मोबाइल दुकानदार मजदूरों और प्रवासियों के पैसे भेजने का काम करते थे। वे कई बार नकद लेकर अपनी पर्सनल अकाउंट से पैसा ट्रांसफर करते थे, जिससे भेजने वाले की पहचान का रिकॉर्ड नहीं बनता था। इसी खामी का फायदा उठाकर जासूसों ने पैसे मोतीराम तक पहुंचाए।

NIA की कार्रवाई क्या रही ?

NIA ने मई में 8 राज्यों में 15 ठिकानों पर छापेमारी की और उन लोगों के बयान दर्ज किए जिन्होंने मोतीराम के अकाउंट में पैसा डाला था। अब एजेंसी इस पूरे नेटवर्क की चार्जशीट तैयार कर रही है। इसमें विस्तार से बताया जाएगा कि कैसे Pakistani Intelligence Operatives (PIOs) ने ट्रेड, ट्रैवल और रेमिटेंस के नाम पर भारत में जासूसी फंडिंग का पूरा सिस्टम खड़ा किया।

क्या है बड़ा सबक इस पुरे मामले में ?

यह केस एक बड़ा सबक है कि आम कारोबारी और छोटे दुकानदार भी अनजाने में दुश्मन देशों के जासूसी नेटवर्क का हिस्सा बन सकते हैं। बिना सोचे-समझे पेमेंट चैनलों का इस्तेमाल करना और सही जांच-पड़ताल किए बिना लेन-देन करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।

CRPF के ASI मोतीराम जाट को NIA ने जासूसी के आरोप में किया गिरफ्तार! नौकरी  से बर्खास्त - जानें मामला - https://indianmasterminds.com

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