NIA , Tahawwur Rana, नई दिल्ली, 10 अप्रैल 2025: भारत ने बुधवार शाम को एक बड़ी कूटनीतिक और कानूनी जीत हासिल की, जब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों के प्रमुख आरोपी ताहव्वुर हुसैन राना को संयुक्त राज्य अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद दिल्ली हवाई अड्डे पर हिरासत में लिया। कनाडा के मूल के पाकिस्तानी नागरिक राना को उनकी गिरफ्तारी के बाद अमेरिकी हवाई जहाज से भारत लाया गया, जहां अब उन्हें आतंकवाद के आरोपों का सामना करना होगा।
NIA : प्रत्यर्पण की लंबी प्रक्रिया
राना का प्रत्यर्पण कई वर्षों की लगातार और कड़ी मेहनत के बाद संभव हुआ, जिसमें भारत के विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय की महत्वपूर्ण भूमिका रही। एनआईए ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को अंजाम दिया, जहां अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 4 अप्रैल 2025 को राना की अंतिम अपील को खारिज कर दिया था। इसके बाद 11 फरवरी 2025 को अमेरिकी विदेश मंत्री ने उनकी प्रत्यर्पण वारंट पर हस्ताक्षर किए, जिसके परिणामस्वरूप उनकी भारत वापसी हुई। राना को नई दिल्ली लाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) और एनआईए की टीमों ने विशेष विमान में उनकी सुरक्षा की।

26/11 हमलों में भूमिका
राना पर 26/11 मुंबई हमलों में डेविड कोलमैन हेडली के साथ साजिश रचने का आरोप है, जिसमें 2008 में 166 लोगों की मौत हुई थी और 239 अन्य घायल हुए थे। इसके अलावा, राना पर डेनमार्क के एक समाचार पत्र के खिलाफ साजिश और अन्य आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का भी आरोप है। भारत सरकार ने इन हमलों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत आतंकवादी संगठनों द्वारा अंजाम दिया गया माना है।
NIA: सुरक्षा और कानूनी कार्रवाई
दिल्ली हवाई अड्डे पर राना की पहुंच के साथ सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त कर दिया गया है। दिल्ली पुलिस ने बैरिकेडिंग की व्यवस्था की और पूरे प्रक्रिया की निगरानी की। सरकार ने वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंद्र मान को विशेष लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त किया है, जो इस मामले में भारत की ओर से पैरवी करेंगे। राना को अगले तीन वर्षों तक हिरासत में रखा जा सकता है या फिर मुकदमा पूरा होने तक, जो भी पहले हो।

विशेषज्ञों की राय
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्रत्यर्पण भारत-अमेरिका के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। हालांकि, पाकिस्तान ने राना से दूरी बनाते हुए कहा है कि वह कनाडाई नागरिक है और उसने अपने पाकिस्तानी दस्तावेजों को नवीनीकृत नहीं किया है, जो इस मामले में राजनीतिक जटिलताओं को दर्शाता है।
निष्कर्ष
ताहव्वुर राना का भारत में आगमन 26/11 हमलों के पीड़ितों के लिए न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। एनआईए और भारतीय अधिकारियों की इस सफलता से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में नई उम्मीद जगी है। अब सभी की निगाहें राना के मुकदमे पर टिकी हैं, जो दिल्ली की विशेष अदालत में शुरू होगा।
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