ND Pacroft vs PCB: इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) के दावों की सच्चाई सबके सामने रख दी है। पाकिस्तान ने हाल ही में कहा था कि अंपायर ND Pacroft ने नो हैंडशेक विवाद पर माफी मांगी है, लेकिन ICC ने साफ कर दिया कि यह दावा झूठा है।
ND Pacroft vs PCB: पाकिस्तान का दावा और ICC की सफाई
17 सितंबर को पाकिस्तान और यूएई के बीच मैच से पहले पाकिस्तान ने धमकी दी थी कि अगर ND Pacroft को उनके मैचों से नहीं हटाया गया तो वे टूर्नामेंट का बहिष्कार करेंगे। इसके बाद PCB ने बयान जारी कर कहा कि Pacroft ने माफी मांग ली है और टीम मैदान में उतरेगी।
लेकिन ICC ने अपने आधिकारिक बयान में स्पष्ट किया कि Pacroft ने नो हैंडशेक विवाद पर कोई माफी नहीं मांगी। उन्होंने केवल मिसकम्युनिकेशन से जुड़ी एक छोटी सी बात पर खेद जताया था। ICC ने यह भी बताया कि:
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ND Pacroft को जांच में निर्दोष पाया गया।
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Pacroft ने न तो PCB और न ही किसी खिलाड़ी से माफी मांगी।
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PCB अपने किसी भी आरोप के सबूत देने में विफल रहा।
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विवाद की शुरुआत कहाँ से हुई?
यह पूरा मामला 14 सितंबर से शुरू हुआ था। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच दुबई में मैच खेला गया। इस मैच के बाद भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने पाकिस्तानी कप्तान सलमान आगा से हाथ नहीं मिलाया। इसके विरोध में पाकिस्तान टीम पोस्ट-मैच प्रेजेंटेशन में शामिल नहीं हुई।
इसके बाद PCB ने इस मामले को बड़ा मुद्दा बनाया और पहले एशियन क्रिकेट काउंसिल (ACC) और फिर ICC में शिकायत दर्ज कराई। PCB ने आरोप लगाया कि ND Pacroft भारत के पक्ष में फैसले लेते हैं और BCCI के दबाव में काम करते हैं। यहां तक कि PCB ने Pacroft को पाकिस्तान के सभी मैचों से हटाने की मांग भी कर डाली।
भारत का रुख
BCCI अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि मैच के बाद हैंडशेक करना कोई नियम नहीं बल्कि केवल एक परंपरा और सद्भावना का प्रतीक है। ऐसे में इसके उल्लंघन पर किसी टीम या खिलाड़ी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती।
PCB के लगातार दबाव और बहिष्कार की धमकी के बावजूद ICC की जांच में ND Pacroft निर्दोष पाए गए। यानी पाकिस्तान का यह दावा पूरी तरह झूठा निकला कि Pacroft ने नो हैंडशेक मामले पर माफी मांगी है।
यहाँ मुझे लगता है कि पाकिस्तान की रणनीति सिर्फ मुद्दे को भटकाने और भारत के खिलाफ माहौल बनाने की थी। खेल में राजनीति का ऐसा दखल खेल भावना को कमजोर करता है। इस पूरे घटनाक्रम ने यह साफ कर दिया कि ICC किसी भी दबाव में आकर निर्णय नहीं लेता और तथ्यों के आधार पर ही फैसला करता है।