Drones, Defibrillators in Minutes, Not Hours: Technology अब सिर्फ सुविधा के लिए नहीं, बल्कि जीवन बचाने के लिए भी इस्तेमाल हो रही है। ब्रिटेन में हुए हालिया ट्रायल्स ने दिखाया है कि drones भविष्य में Heart Attack Patients के लिए ‘जीवनरक्षक’ साबित हो सकते हैं। विचार सीधा है—जब एम्बुलेंस ट्रैफिक में फंसी हो या दूरी की वजह से देर से पहुँचे, तब drones सीधे मरीज तक डिफिब्रिलेटर पहुँचा सकता है।
क्यों ज़रूरी हैं drones?
चिकित्सा विशेषज्ञ कहते हैं कि Heart Attack के मामलों में हर सेकंड कीमती होता है। शुरुआती 8–10 मिनट को “गोल्डन मिनट्स” कहा जाता है। इस दौरान अगर मरीज को डिफिब्रिलेटर मिल जाए तो उसकी जान बचने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। लेकिन कई बार एम्बुलेंस समय पर नहीं पहुँच पाती, खासकर ग्रामीण इलाकों और भीड़भाड़ वाले शहरों में।
इसी समस्या का समाधान खोजने के लिए ब्रिटेन में drones-डिलीवरी मॉडल को टेस्ट किया गया। ट्रायल्स में पाया गया कि drones10 मिनट से भी कम समय में डिफिब्रिलेटर लेकर मौके पर पहुँच गए, जो कि एम्बुलेंस से कहीं तेज़ है।
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विशेषज्ञों की राय
Emergency care specialist Dr John Martin का कहना है:
“कार्डियक अरेस्ट के हर मिनट में मरीज की जान बचने की संभावना कम होती जाती है। अगर drones 5–8 मिनट में डिफिब्रिलेटर पहुँचा दें तो सर्वाइवल रेट 70% तक बढ़ सकता है। यह सिस्टम स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक नया अध्याय खोल सकता है।”
भविष्य की उम्मीद
ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) अब इस तकनीक को अपने इमरजेंसी सिस्टम में शामिल करने की तैयारी कर रही है। अगर इसे व्यापक स्तर पर अपनाया गया तो यह पूरी दुनिया की हेल्थकेयर प्रणाली के लिए एक मॉडल बन सकता है।
भारत जैसे देशों में, जहाँ ट्रैफिक और ग्रामीण इलाकों तक पहुंचना बड़ी चुनौती है, यह मॉडल हजारों जिंदगियाँ बचा सकता है।
निष्कर्ष
drones डिलीवरी अब सिर्फ ऑनलाइन शॉपिंग तक सीमित नहीं है। ब्रिटेन का यह ट्रायल साबित करता है कि तकनीक का असली मूल्य तब है जब वह सीधे इंसानी जिंदगी बचाने में मदद करे। आने वाले समय में drones न सिर्फ पैकेट पहुँचाएंगे, बल्कि लोगों की जान भी बचाएंगे।