BCCI को बड़ा झटका: बॉम्बे हाई कोर्ट ने Kochi Tuskers को 538 करोड़ का मुआवजा दिलाया

Kochi Tuskers, BCCI: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को एक पुराने विवाद में बॉम्बे हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने आईपीएल से बाहर हो चुकी Kochi Tuskers केरल टीम के पक्ष में फैसला सुनाते हुए ₹538 करोड़ के आर्बिट्रल अवॉर्ड को सही ठहराया है।

EDITED BY: Vishal Yadav

UPDATED: Wednesday, June 18, 2025

BCCI को बड़ा झटका: बॉम्बे हाई कोर्ट ने Kochi Tuskers को 538 करोड़ का मुआवजा दिलाया

Kochi Tuskers, BCCI: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को एक पुराने विवाद में बॉम्बे हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने आईपीएल से बाहर हो चुकी Kochi Tuskers केरल टीम के पक्ष में फैसला सुनाते हुए ₹538 करोड़ के आर्बिट्रल अवॉर्ड को सही ठहराया है।

जस्टिस आरआई चागला ने बीसीसीआई की वह याचिका खारिज कर दी है जिसमें उन्होंने इस मध्यस्थता फैसले को चुनौती दी थी। अब BCCI को Kochi Tuskers फ्रेंचाइज़ी के मालिकों को यह राशि चुकानी होगी।


⚖️ Kochi Tuskers का क्या है पूरा मामला?

  • Kochi Tusker केरल ने 2011 में इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में डेब्यू किया था।

  • टीम का स्वामित्व पहले रेंदेवू स्पोर्ट्स वर्ल्ड (RSW) के पास था, और बाद में इसका संचालन कोच्चि क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड (KCPL) ने संभाला।

  • लेकिन 26 मार्च 2011 तक बैंक गारंटी जमा न करने के कारण Cricket Board ने फ्रैंचाइज़ी को टर्मिनेट कर दिया था।

बीसीसीआई के अनुसार, उन्होंने 6 महीने तक इंतजार किया लेकिन उन्हें गारंटी की राशि ₹156 करोड़ नहीं मिली।


🧾 मध्यस्थता में क्या हुआ?

  • RSW और KCPL ने BCCI के फैसले को आर्बिट्रेशन ट्राइब्यूनल में चुनौती दी।

  • 2015 में ट्राइब्यूनल ने कहा कि बीसीसीआई ने अनुचित तरीके से टर्मिनेशन किया और गारंटी रकम की वसूली भी गलत थी।

  • इस फैसले में बीसीसीआई को RSW को ₹153 करोड़ और KCPL को ₹384 करोड़ नुकसान की भरपाई करने का आदेश मिला — कुल ₹538 करोड़ (ब्याज और लीगल फीस सहित)।


📜 हाई कोर्ट का फैसला क्या कहता है?

बॉम्बे हाई कोर्ट ने साफ किया कि:

मध्यस्थता अधिनियम की धारा 34 के तहत कोर्ट के अधिकार सीमित हैं। Cricket Board द्वारा उठाया गया विवाद उस दायरे से बाहर है और कोर्ट को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।”

कोर्ट ने माना कि Cricket Board का आर्बिट्रेशन को चुनौती देने का कोई वैध आधार नहीं है। इसलिए, ट्राइब्यूनल द्वारा दिया गया ₹538 करोड़ का आर्बिट्रल अवॉर्ड बरकरार रहेगा।


📉 BCCI के लिए क्या है इसका असर?

यह फैसला BCCI के लिए कानूनी और वित्तीय दोनों मोर्चों पर बड़ा झटका है। जहां एक ओर बोर्ड की पारदर्शिता और अनुबंधीय नीतियों पर सवाल उठते हैं, वहीं दूसरी ओर इतनी बड़ी रकम चुकाना बीसीसीआई को आर्थिक दृष्टि से झटका दे सकता है — भले ही बोर्ड के पास विशाल संसाधन हों।


📌 निष्कर्ष

इस केस से यह स्पष्ट होता है कि बड़ी स्पोर्ट्स बॉडीज को भी अपने कानूनी अनुबंधों में पारदर्शिता और निष्पक्षता रखनी होगी। कोच्चि टस्कर्स केरल के लिए भले ही IPL का सफर एक साल में थम गया, लेकिन यह फैसला उनके हक की लंबी कानूनी लड़ाई की जीत है।

Kochi Tuskers

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