Justice Suryakant: भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) के रूप में जस्टिस सूर्यकांत का नाम तय हो गया है। वह 24 नवंबर को देश के 53वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ लेंगे और हरियाणा से आने वाले पहले व्यक्ति होंगे जो इस पद तक पहुंचे हैं। उनके सामने सुप्रीम कोर्ट में लंबित करीब 90 हजार मामलों के निस्तारण की चुनौती होगी, जिसे वह अपनी सटीक और व्यावहारिक समझ से हल करने की कोशिश करेंगे।

कौन है Justice Suryakant ?
जस्टिस सूर्यकांत का जन्म हरियाणा के पेटवार गांव में हुआ था। गांव के लोग आज भी उन्हें “मास्टर जी का बेटा” और “किसान कवि” के नाम से जानते हैं। परिवार के मुताबिक, सूर्यकांत बचपन से ही पढ़ाई में बेहद होशियार रहे हैं। उनके कॉलेज के दिनों में लिखी गई कविता “मेंढ पर मिट्टी चढ़ा दो” आज भी लोगों के बीच याद की जाती है। उन्होंने हिसार से स्नातक करने के बाद 1984 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से एलएलबी की डिग्री हासिल की और 2011 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एलएलएम किया।
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1984 में हिसार जिला अदालत से की और जल्द ही पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की। सूर्यकांत संविधान, सिविल और सेवा कानून (Service Law) के विशेषज्ञ माने जाते हैं।
अपने न्यायिक करियर में जस्टिस सूर्यकांत ने कई अहम और ऐतिहासिक फैसले दिए हैं। उन्होंने अनुच्छेद 370 हटाने, नागरिकता अधिनियम के सेक्शन 6A, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे और पीएमएलए (Prevention of Money Laundering Act) की समीक्षा से जुड़े मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उन्होंने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सीबीआई के आबकारी नीति मामले में जमानत देने वाली बेंच की अध्यक्षता की थी और कहा था कि “सीबीआई को पिंजरे के तोते की छवि से बाहर आना होगा।” उनके नेतृत्व वाली बेंच ने भारत के कॉमेडी शो “इंडियाज गॉट लैटेंट” में दिव्यांगों का मजाक बनाने पर सख्त टिप्पणी की थी और केंद्र सरकार को ऑनलाइन कंटेंट रेगुलेशन के लिए नियम बनाने के निर्देश दिए थे।
जस्टिस सूर्यकांत उस बेंच में भी शामिल थे जिसने 2021 में पेगासस स्पाइवेयर मामले की जांच के लिए साइबर एक्सपर्ट्स की तीन सदस्यीय कमेटी नियुक्त की थी। उन्होंने मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह को एक बयान पर फटकार लगाते हुए कहा था कि मंत्रियों को अपने शब्दों का इस्तेमाल पूरी जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए।
जस्टिस सूर्यकांत अपने संतुलित फैसलों और संवेदनशील दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने हमेशा न्यायपालिका की स्वतंत्रता और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी है। अब जब वह देश के प्रधान न्यायाधीश बनने जा रहे हैं, तो न्याय व्यवस्था से उम्मीदें और भी बढ़ गई हैं।






