Indian Rupee Weakness 2025: भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन इसके बावजूद रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। 2025 में भारतीय रुपया एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी बन गया है। डॉलर ही नहीं बल्कि यूरो, पाउंड और जापानी येन जैसी अन्य प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले भी रुपया गिरावट दिखा रहा है। सवाल उठता है कि आखिर क्यों दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था का रुपया इतना कमजोर पड़ रहा है और इसका असर हम सबकी जेब पर कैसे पड़ता है।
Indian Rupee Weakness 2025: डॉलर के मुकाबले गिरा रुपया !!
रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय रुपया 19 सितंबर को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 88.32 के स्तर तक पहुंच गया। यह हाल के इतिहास का सबसे निचला स्तर है। जनवरी–फरवरी 2025 से ही रुपया लगातार 4.8% कमजोर हो चुका है।
गिरावट के बड़े कारण क्या है ?
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फेडरल रिजर्व की नीति (Hawkish Stand):
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती की बजाय उन्हें लंबे समय तक ऊंचा रख रहा है। इससे निवेशकों के लिए डॉलर और बॉन्ड में निवेश ज्यादा आकर्षक बन जाता है। ऐसे में भारत जैसे देशों से पूंजी निकलती है और रुपया कमजोर होता है। -
अमेरिकी टैरिफ का असर:
अमेरिका ने भारत से आने वाले कई उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगा दिया है। भारत अपने करीब 20% सामान अमेरिका को एक्सपोर्ट करता है। टैरिफ बढ़ने से भारतीय एक्सपोर्ट महंगे हो गए और विदेशी मुद्रा का प्रवाह कम हो गया। -
विदेशी निवेशकों का पैसा निकालना:
अगस्त 2025 से विदेशी निवेशकों ने भारत से निवेश निकालना शुरू कर दिया। ट्रंप प्रशासन की नीतियों और मजबूत डॉलर ने निवेशकों को अमेरिका और चीन जैसे बाजारों की ओर आकर्षित किया। -
व्यापार घाटा और इंपोर्ट निर्भरता:
भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का 80% से ज्यादा आयात करता है। डॉलर महंगा होने पर तेल आयात और भी महंगा हो जाता है। इससे व्यापार घाटा बढ़ता है और रुपया और कमजोर होता है।
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अन्य मुद्राओं के मुकाबले भी गिरावट ?
2025 में अब तक रुपया यूरो के मुकाबले 18%, ब्रिटिश पाउंड के मुकाबले 13% और जापानी येन के मुकाबले 10% तक कमजोर हुआ है। जबकि इसी दौरान ब्राजीलियन रियाल और चीनी युवान जैसी करेंसीज मजबूत हुई हैं।
आम लोगों पर असर क्या होगा असर ?
कमजोर रुपया सीधे आम नागरिकों की जेब पर असर डालता है।
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विदेश में पढ़ाई और यात्रा महंगी हो जाती है।
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आयातित सामान (तेल, गैजेट्स, दवाइयाँ) की कीमतें बढ़ जाती हैं।
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विदेशी कर्ज चुकाने की लागत बढ़ जाती है।
क्या कमजोर रुपए के फायदे भी है ?
हालांकि कुछ फायदे भी हैं। आईटी सेवाओं, दवाओं और कपड़ा उद्योग जैसे एक्सपोर्ट सेक्टर को कमजोर रुपया मदद करता है क्योंकि उन्हें ज्यादा रुपये मिलते हैं। विदेशों में काम करने वाले भारतीयों को भी अधिक रेमिटेंस मिलता है। लेकिन तेल और अन्य आवश्यक वस्तुओं के भारी आयात की वजह से ये फायदे सीमित हो जाते हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि रुपए की मजबूती इस बात पर निर्भर करेगी कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार टकराव कितना लंबा चलता है। अगर समाधान जल्दी निकलता है तो रुपया संभल सकता है, लेकिन अगर हालात ऐसे ही बने रहे तो गिरावट और बढ़ सकती है।