Delhi High Court, SSC: Delhi High Court ने केंद्र सरकार और स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (SSC) को फटकार लगाते हुए उस आदेश पर जवाब मांगा है जिसमें कहा गया था कि छात्र परीक्षा के बाद SSC पेपर पर चर्चा नहीं कर सकते। कोर्ट ने इस आदेश को “मनमाना” बताते हुए सवाल किया कि आखिर परीक्षा खत्म होने के बाद स्टूडेंट्स के बीच डिस्कशन पर रोक कैसे लगाई जा सकती है।
क्या SSC परीक्षा के बाद पेपर पर चर्चा करना अब अपराध है?
यह मामला 8 अक्टूबर को Delhi High Court की चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुशार राव गेडेला की बेंच के सामने सुनवाई के दौरान उठा। सुनवाई के बीच कोर्ट ने कहा, “जब हम अपने समय में परीक्षा देकर बाहर निकलते थे तो सबसे पहले दोस्तों के साथ पेपर पर चर्चा करते थे। अब आप इस पर रोक कैसे लगा सकते हैं?”

दरअसल, यह पूरा विवाद SSC के उस नोटिफिकेशन से जुड़ा है जो 8 सितंबर को जारी किया गया था। इसमें छात्रों को चेतावनी दी गई थी कि वे परीक्षा खत्म होने के बाद पेपर पर किसी भी तरह की चर्चा न करें। नोटिफिकेशन में कहा गया था कि कोई भी उम्मीदवार या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अगर पेपर डिस्कशन या एनालिसिस करेगा तो उसके खिलाफ Public Examinations (Prevention of Unfair Means) Act 2024 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
इस नोटिफिकेशन के खिलाफ विकास कुमार मिश्रा नाम के व्यक्ति ने Delhi High Court में जनहित याचिका (PIL) दायर की थी। याचिका में कहा गया कि इस एक्ट में कहीं भी परीक्षा के बाद पेपर पर चर्चा या एनालिसिस करने पर रोक का जिक्र नहीं है, इसलिए SSC का यह आदेश कानून के दायरे से बाहर है।
क्या हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद छात्रों की मांगें मानेगा SSC?
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान SSC के इस कदम को अनुचित बताया और आयोग को एक हफ्ते के भीतर विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी।
पिछले कुछ महीनों से SSC को लेकर विवाद लगातार बढ़ा है। जुलाई में हुई परीक्षाओं के दौरान कई टेक्निकल गड़बड़ियां सामने आई थीं। इससे नाराज उम्मीदवार सड़कों पर उतर आए थे। दिल्ली से लेकर देश के दूसरे हिस्सों में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किए। दिल्ली पुलिस ने तो रामलीला मैदान पर प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर लाठीचार्ज भी किया था।
छात्रों की मुख्य मांग थी कि SSC चेयरपर्सन उनसे मुलाकात करें और परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के कदम उठाए जाएं। इसके बाद आयोग ने स्वीकार किया था कि तकनीकी खामियां हुई हैं और उन्हें सुधारने का काम जारी है।
लेकिन इसी बीच, 8 सितंबर को जब SSC ने पेपर डिसक्शन पर रोक लगाने वाला नोटिफिकेशन जारी किया, तो एक बार फिर छात्रों में नाराजगी फैल गई। सोशल मीडिया पर कई उम्मीदवारों ने इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला बताया।
अब कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इस मामले ने एक नया मोड़ ले लिया है। Delhi High Court के इस रुख से उम्मीद की जा रही है कि सरकार को अपने आदेश पर सफाई देनी पड़ेगी और छात्रों की आवाज एक बार फिर सुनी जाएगी।






