Gauri Shankar Agrahari: बीजेपी नेता Gauri Shankar Agrahari पर इन दिनों गंभीर आरोप लगे हैं। सोशल मीडिया पर उनका एक आपत्तिजनक वीडियो वायरल हुआ है, जिसके बाद पार्टी ने तुरंत बड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। यह वीडियो कथित तौर पर करीब एक हफ्ते पहले का बताया जा रहा है और इसमें अग्रहरी एक बच्ची के साथ अश्लील हरकतें करते नजर आ रहे हैं।
Gauri Shankar Agrahari: वीडियो वायरल और सफाई
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, वीडियो सामने आने के बाद अग्रहरी ने दावा किया कि वह बीजेपी में किसी पद पर नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह वीडियो राजनीतिक रूप से उन्हें बदनाम करने के लिए बनाया गया है। उनका आरोप है कि वीडियो एडिट किया गया है और इसमें किसी और की बॉडी पर उनका चेहरा सेट किया गया है। अग्रहरी ने यह भी कहा कि वह उस व्यक्ति को जानते हैं जिसने यह वीडियो बनाया और राजनीति के चलते यह साजिश की गई।
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पार्टी ने लिया सख्त एक्शन
हालांकि, अग्रहरी के इन दावों को दरकिनार करते हुए प्रदेश महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ल ने उन्हें तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित करने का आदेश जारी किया। इस आदेश में उनका नाम और पद दोनों दर्ज थे। बीजेपी जिला अध्यक्ष कन्हैया पासवान ने भी पुष्टि की कि उन्हीं की शिकायत पर यह कार्रवाई की गई है। पासवान का कहना है कि अग्रहरी का आचरण लंबे समय से सही नहीं था और वायरल वीडियो से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंच रहा था।
30 साल से जुड़े थे पार्टी से
आपको बता दें कि गौरी शंकर अग्रहरी लगभग 30 वर्षों से बीजेपी से जुड़े हुए थे। साल 2020 में उन्हें जिला उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वहीं 2023 के बासी नगर पालिका चुनाव में उन्होंने पार्टी से टिकट मांगा था, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया था।
विपक्ष का हमला
वीडियो सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने बीजेपी पर कड़ा प्रहार किया है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेताओं ने आरोप लगाया कि बीजेपी संस्कृति और आचरण की बातें करती है, लेकिन उसके ही नेता इस तरह के कांड में पकड़े जाते हैं। विपक्ष का कहना है कि बीजेपी नेता दोहरी राजनीति करते हैं—जनता के सामने आदर्शवादी भाषण और पीछे गलत कामों में लिप्त रहना।
जनता में बढ़ रही नाराजगी
इस घटना ने स्थानीय स्तर पर राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। पार्टी की छवि को जहां नुकसान हुआ है, वहीं विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाकर सरकार और संगठन पर हमला तेज कर दिया है। जनता के बीच भी यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि इस तरह के मामलों पर सिर्फ कार्रवाई करना काफी है या राजनीतिक दलों को अपने नेताओं की पृष्ठभूमि पर भी कड़ी निगरानी रखनी चाहिए।