Sitaare Zameen Par: एक लंबा ब्रेक लेने के बाद 20 जून को आमिर खान की मूवी “Sitaare Zameen Par” रिलीज़ हुई,फिल्म के रिलीज होने पर आमिर खान के कमबैक की बात की जा रही है, और इस फिल्म के रिलीज से पहले इसकी स्क्रीनिंग पर पूरा बॉलीवुड पहुंचा था और फिल्म को काफी पसंद किया गया है।
Sitaare Zameen Par: बारे मे !!
सबका अपना-अपना नॉर्मल होता है’ यही एक लाइन फिल्म ‘Sitaare Zameen Par‘ के मूल विचार को खूबसूरती से समेट लेती है। इस बार आमिर खान निर्देशक आर.एस. प्रसन्ना के साथ मिलकर उन लोगों को मंच दे रहे हैं, जिन्हें अक्सर ‘अबनॉर्मल’ कहकर खारिज कर दिया जाता है।
यानी न्यूरो-डायवर्जेंट लोग, जिनका दिमाग दुनिया को एक अलग नजर से देखता है। 2007 में ‘तारे जमीन पर’ ने डिस्लेक्सिया जैसे जटिल लेकिन जरूरी विषय को एक संवेदनशील दृष्टिकोण से सामने रखा था। अब ‘सितारे जमीन पर’ उसी सोच को आगे बढ़ाते हुए हमें यह अहसास दिलाती है कि जिन्हें हम ‘मंगोल’ या पागल कहते हैं, दरअसल वो हमें इंसानियत का असली मतलब सिखाते हैं।
फिल्म न सिर्फ हमें मनोरंजन देती है, बल्कि सोचने पर मजबूर भी करती है कि असली अब्नोर्मेलिटी शायद हमारे नजरिए में ही है। आमिर खान एक बार फिर साबित करते हैं कि सिनेमा केवल पर्दे की कहानी नहीं, समाज को देखने का आईना भी हो सकता है।
आमिर खान की “Sitaare Zameen Par” में ब्लॉकबस्टर बनने के लिए हर तत्व मौजूद है। यह असाधारण तारे ज़मीन पर का आध्यात्मिक सीक्वल है। इसमें एक सामाजिक संदेश है जो फील-गुड ह्यूमर से भरपूर है। यह लाल सिंह चड्ढा के तीन साल बाद सुपरस्टार की बड़े पर्दे पर वापसी का प्रतीक है। और यह ‘बौद्धिक रूप से अक्षम’ लोगों के एक समूह को एक साथ लाता है और उनके जीवन का जश्न मनाता है। ताज़ा बात यह है कि यहाँ, (अधिकांश भाग के लिए) भावुकता के लिए कोई जगह नहीं है और भले ही यह स्पैनिश फिल्म कैंपियन्स की रीमेक हो, लेकिन यह भारतीय दर्शकों के लिए एक अनूठी कहानी लेकर आई है।
Sitaare Zameen Par: कैसी है कमाई?