AI Vakeel: दिल्ली हाई कोर्ट में AI की फर्जी कानूनी दलीलें पकड़ी गईं, वकीलों की मुश्किलें बढ़ीं

AI Vakeel: भारत में पहली बार ऐसा मामला सामने आया है, जब अदालत में पेश किए गए कानूनी दस्तावेज़ों में AI (Artificial Intelligence) से तैयार की गई फर्जी जानकारियों का इस्तेमाल पाया गया। यह घटना दिल्ली हाई कोर्ट में उस समय उजागर हुई जब एक बिल्डर ने

EDITED BY: Vishal Yadav

UPDATED: Friday, September 26, 2025

AI Vakeel: दिल्ली हाई कोर्ट में AI की फर्जी कानूनी दलीलें पकड़ी गईं, वकीलों की मुश्किलें बढ़ीं

AI Vakeel: भारत में पहली बार ऐसा मामला सामने आया है, जब अदालत में पेश किए गए कानूनी दस्तावेज़ों में AI (Artificial Intelligence) से तैयार की गई फर्जी जानकारियों का इस्तेमाल पाया गया। यह घटना दिल्ली हाई कोर्ट में उस समय उजागर हुई जब एक बिल्डर ने अपने बचाव में ऐसे केस और पैराग्राफ का हवाला दिया, जो असल में मौजूद ही नहीं थे।

मामला क्या है?

2012 में करीब 1600 होम बायर्स ने दिल्ली के GWA Builders से फ्लैट खरीदे थे। पैसों का भुगतान करने के बावजूद बिल्डर ने किसी को भी पजेशन नहीं दिया। इसके बाद खरीदारों ने मिलकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लंबे समय तक सेशन कोर्ट में मामला चलने के बाद केस दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा।

सुनवाई के दौरान बिल्डर की ओर से कोर्ट में written submission दाखिल किया गया। आमतौर पर ऐसा दस्तावेज़ पुराने केसों और जजमेंट्स के हवाले पर आधारित होता है ताकि कोर्ट को यह दिखाया जा सके कि बचाव पक्ष की दलीलें पहले भी मान्य मानी गई हैं।

लेकिन इस केस में बिल्डर के वकीलों ने बड़ी गलती कर दी। उन्होंने जो उदाहरण दिए, उनमें से कई कपोल कल्पना निकले।

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फर्जी केस और पैराग्राफ का हवाला

  • वकीलों ने अपने लिखित जवाब में “चित्रा नारायण बनाम DDA” केस का हवाला दिया। लेकिन जांच करने पर पता चला कि इस नाम का कोई भी केस भारतीय अदालतों के रिकॉर्ड में दर्ज ही नहीं है।

  • इसके अलावा, उन्होंने ऐतिहासिक “राज नारायण बनाम इंदिरा गांधी” केस का भी हवाला दिया। दावा किया गया कि उस जजमेंट के पैराग्राफ 73 और 74 से उनकी दलील मज़बूत होती है। लेकिन असलियत यह थी कि उस फैसले में सिर्फ 27 पैराग्राफ ही मौजूद हैं। यानी जो पैराग्राफ कोर्ट के सामने रखे गए, वे पूरी तरह फर्जी थे।

खरीदारों ने यह गड़बड़ी तुरंत पकड़ ली। नतीजा यह हुआ कि बिल्डर की ओर से केस लड़ रहे सीनियर वकील को अपनी पिटीशन वापस लेनी पड़ी।

सिर्फ भारत में ही नहीं, विदेशों में भी समस्या

AI की मदद से तैयार की गई फर्जी कानूनी दलीलें सिर्फ भारत तक सीमित नहीं हैं। अमेरिका में भी ऐसा मामला सामने आया। Mata vs. Avinka केस में वकीलों ने AI के हवाले से कुछ गैर-मौजूद केसों का जिक्र कर दिया। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया और वकीलों पर 5000 डॉलर का जुर्माना ठोक दिया। साथ ही सार्वजनिक रूप से फटकार भी लगाई।

भारत में सख्त सज़ा का प्रावधान

भारतीय कानून इस मामले को बहुत गंभीर मानता है। भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 29 के अनुसार अगर कोई वकील जानबूझकर या लापरवाही से AI आधारित झूठी जानकारी कोर्ट में पेश करता है, तो यह फ्रॉड की श्रेणी में आएगा। इसके लिए 7 साल तक की जेल और भारी जुर्माना दोनों का प्रावधान है।

AI तकनीक आज दुनिया भर में काम आसान बनाने के लिए इस्तेमाल हो रही है, लेकिन अदालत जैसे संवेदनशील क्षेत्र में इसका गलत प्रयोग बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। यह घटना साफ करती है कि वकीलों को बिना जांचे-परखे AI से निकले डेटा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। वरना इसकी कीमत करियर और साख से चुकानी पड़ सकती है।

Bombay High Court directs action against lawyer for improper courtroom  attire - India Today

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