Rajiv Pratap: भ्रष्टाचार पर लगातार रिपोर्टिंग करने वाले 36 वर्षीय पत्रकार Rajiv Pratap की रहस्यमयी मौत ने पूरे उत्तराखंड को हिला दिया है। तकरीबन 10 दिन लापता रहने के बाद उनका शव 28 सितंबर को भागीरथी नदी से बरामद हुआ। परिवार का आरोप है कि राजीव ने स्थानीय भ्रष्टाचार उजागर किया था, इसी कारण उनकी हत्या की गई।
Rajiv Pratap : गुमशुदगी से शव मिलने तक की पूरी कहानी
18 सितंबर की रात राजीव प्रताप अपने दोस्त की Alto कार लेकर निकले थे। इसके बाद से उनका कोई पता नहीं चला। 19 सितंबर को एसडीआरएफ की टीम को गंगोरी के पास भागीरथी नदी में एक कार मिली। यह वही कार थी जिसे राजीव लेकर घर से निकले थे।
परिवार की चिंता बढ़ी और उनके अंकल कृपाल सिंह ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने 20 सितंबर को बीएनएस की धारा 140(3) के तहत एफआईआर दर्ज की। यह धारा किसी शख्स को गलत ढंग से अगवा और गुपचुप कैद करने से जुड़ी है।
परिवार ने आरोप लगाया कि राजीव की निर्भीक पत्रकारिता के चलते कई लोग उनसे नाराज़ थे। हाल ही में उन्होंने उत्तरकाशी जिला अस्पताल की बदहाली पर वीडियो रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें दवाइयों की कमी और खराब सुविधाओं का खुलासा किया गया। यह वीडियो वायरल हुआ और इसके बाद से उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थीं।
परिवार और पत्नी के गंभीर आरोप
राजीव की पत्नी ने कहा कि जिस दिन वे लापता हुए, उस दिन गंगोरी जाने का कोई कारण नहीं था। उन्होंने यह भी बताया कि वीडियो हटाने का दबाव बनाया जा रहा था। परिवार का मानना है कि पत्रकार की हत्या एक सुनियोजित साजिश के तहत हुई।
खोज अभियान और शव बरामदगी
लगातार कई दिनों तक एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और पुलिस की टीमें तलाश में जुटी रहीं। 25 सितंबर को उत्तरकाशी पुलिस ने अखबार में विज्ञापन छपवाकर आम नागरिकों से मदद की अपील भी की। आखिरकार, 27-28 सितंबर को जोशियाड़ा बैराज से राजीव प्रताप का शव बरामद हुआ।
एसडीआरएफ कमांडेंट अर्पण यदुवंशी ने पुष्टि की कि शव पुलिस को सौंप दिया गया है। हालांकि, शव पर कोई स्पष्ट चोट के निशान नहीं पाए गए। एसपी सरिता डोभाल ने बताया कि असली सच पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही सामने आएगा।
पत्रकार बिरादरी में आक्रोश
राजीव प्रताप ने पत्रकारिता की पढ़ाई देश के प्रतिष्ठित संस्थान आईआईएमसी (IIMC) से की थी। उनकी मौत पर IIMC एलुमिनाई एसोसिएशन ने गहरा दुख जताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की। पत्रकार संगठनों का कहना है कि यह केस पत्रकारों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
मुख्यमंत्री धामी का रिएक्शन
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि पूरे मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच होगी ताकि सच सामने आ सके।
बड़ा सवाल
क्या Rajiv Pratap की मौत वाकई एक दुर्घटना थी या उन्हें भ्रष्टाचार उजागर करने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी? यह सवाल आज भी उत्तराखंड और देश की पत्रकार बिरादरी को परेशान कर रहा है। अब सबकी निगाहें पोस्टमार्टम रिपोर्ट और आगे की जांच पर टिकी हैं।