Andaman Natural Gas Discovery: भारत की ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए Oil India Limited (OIL) ने अंडमान द्वीपसमूह के पास प्राकृतिक गैस (Natural Gas) का भंडार खोज निकाला है। यह खोज न केवल कंपनी के लिए बल्कि पूरे देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को देखते हुए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। हालाँकि अभी तक गैस पूल के सटीक आकार और इसकी वाणिज्यिक क्षमता का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन शुरुआती जांच से यह साफ हो गया है कि अंडमान बेसिन में प्राकृतिक गैस मौजूद है।
कंपनी द्वारा जारी बयान के अनुसार, यह खोज ऑफशोर अंडमान ब्लॉक AN-OSHP 2018/1 में हुई है। इस ब्लॉक में Vijaypuram-2 नाम का दूसरा exploratory well ड्रिल किया गया था। ऐसे कुएँ खासतौर पर यह पता लगाने के लिए खोदे जाते हैं कि जमीन या समुद्र के नीचे तेल और गैस मौजूद है या नहीं। इस ड्रिलिंग में शुरुआती स्तर पर गैस के नमूने निकाले गए और उनकी जांच से पुष्टि हुई कि वहाँ प्राकृतिक गैस है।
तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी अपने आधिकारिक X हैंडल पर इस खोज की जानकारी साझा की। उनके अनुसार यह वेल अंडमान द्वीपों के पूर्वी तट से लगभग 17 किलोमीटर दूर और 295 मीटर पानी की गहराई में ड्रिल किया गया। इसकी गहराई 2650 मीटर यानी करीब 2.65 किलोमीटर है। शुरुआती परीक्षणों में 2212 से 2250 मीटर की गहराई पर प्राकृतिक गैस मिली और परीक्षण के दौरान बीच-बीच में फ्लेयरिंग भी देखी गई। गैस का नमूना जहाज से आंध्र प्रदेश के काकीनाडा ले जाया गया जहाँ इसकी जांच में लगभग 87% मिथेन पाई गई।
यह खोज ऐसे समय में हुई है जब भारत अपनी तेल और गैस की ज़रूरतों का बड़ा हिस्सा आयात पर निर्भर करता है। वर्तमान में भारत अपनी 88% तेल और 50% गैस की आवश्यकता अन्य देशों से पूरी करता है। ऐसे में अंडमान बेसिन में प्राकृतिक गैस की मौजूदगी साबित होना भविष्य में ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि हो सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह खोज केवल शुरुआती चरण है। अभी और भी विस्तृत आइसोटोप स्टडीज व परीक्षण किए जा रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि गैस का स्रोत कहाँ से है, इसकी उम्र कितनी है और यह कितनी मात्रा में उपलब्ध हो सकती है। इन निष्कर्षों के आधार पर आगे की एक्सप्लोरेशन रणनीति तैयार की जाएगी।
दिलचस्प बात यह है कि यह पहली बार है जब Andaman Shallow Offshore Block में हाइड्रोकार्बन की मौजूदगी दर्ज की गई है। पहले ओएनजीसी ने भी इस क्षेत्र में अल्ट्रा डीप वॉटर वेल ड्रिलिंग की थी, लेकिन उसके परिणाम अभी सामने नहीं आए थे।
विश्लेषकों का कहना है कि अगर आने वाले महीनों में इस गैस पूल की वाणिज्यिक क्षमता सिद्ध होती है तो यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक गेम चेंजर साबित होगा। ठीक वैसे ही जैसे म्यांमार और इंडोनेशिया के समुद्री क्षेत्रों में पहले ही बड़े पैमाने पर प्राकृतिक गैस के भंडार मिले हैं।
फिलहाल उम्मीद की जा रही है कि यह खोज भारत को अपने “आत्मनिर्भर ऊर्जा” लक्ष्य की ओर तेजी से ले जाएगी और आने वाले वर्षों में देश के ऊर्जा परिदृश्य को बदल सकती है।