NATO Chief Mark Rutte India Statement: नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) के चीफ Mark Rutte का हालिया बयान भारत के लिए चर्चा का विषय बन गया है। रूटा ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बातचीत में कहा कि भारत रूस का सपोर्ट करेगा, लेकिन साथ ही यूक्रेन युद्ध पर उनकी रणनीति जानना चाहता है। इस बयान पर भारत ने सख्त आपत्ति जताते हुए इसे पूरी तरह गलत और निराधार करार दिया है।
विदेश मंत्रालय का कड़ा बयान
भारतीय विदेश मंत्रालय ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा –
“नाटो सेक्रेटरी जनरल का बयान पूरी तरह से गलत है। प्रधानमंत्री मोदी ने कभी भी राष्ट्रपति पुतिन से इस लहजे में बात नहीं की। ऐसी अटकलबाजी और गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी अस्वीकार्य है। नाटो जैसी संस्था से अपेक्षा की जाती है कि वह अपने बयान में अधिक जिम्मेदारी और सटीकता बरते।”
विदेश मंत्रालय ने साफ कहा कि प्रधानमंत्री की ऐसी कोई बातचीत पुतिन से हुई ही नहीं और इस तरह के बयान किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
पूरा मामला क्या है?
दरअसल, 25 सितंबर को अमेरिकी चैनल CNN पर एंकर क्रिस्टियन अमनपोर ने मार्क रूटा से रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिका की रणनीति पर सवाल किया। जब उनसे पूछा गया कि रूस पर बड़े प्रतिबंध (Sanctions) क्यों नहीं लगाए जा रहे, तो रूटा ने जवाब दिया कि अमेरिका ने पहले ही बड़े सेकेंडरी सेंक्शंस लगाए हैं, जिसका असर भारत पर भी पड़ा है। उन्होंने आगे दावा किया कि पीएम मोदी और पुतिन के बीच फोन कॉल हुई थी, जिसमें मोदी ने रूस को समर्थन देने की बात कही और साथ ही यूक्रेन युद्ध की रणनीति जानने की इच्छा जताई।
रूटा ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप रूस पर दबाव बनाने और युद्ध खत्म करने की दिशा में काम कर रहे हैं, लेकिन हालात अभी भी चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं।
भारत ने क्यों जताई नाराजगी?
भारत का कहना है कि यह बयान तथ्यों पर आधारित नहीं है और प्रधानमंत्री मोदी की बातचीत को गलत तरीके से पेश किया गया है। भारत ने स्पष्ट किया है कि जिम्मेदार पदों पर बैठे नेताओं को ऐसे बयान देने से बचना चाहिए, जो बिना आधार के हों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर नकारात्मक असर डालें।
NATO क्या है?
NATO यानी North Atlantic Treaty Organization यूरोप और उत्तरी अमेरिका के 32 देशों का सैन्य और राजनीतिक गठबंधन है। इसकी स्थापना 1949 में सोवियत संघ के विस्तार को रोकने और सामूहिक सुरक्षा की भावना से की गई थी। संगठन का मूल सिद्धांत है कि किसी एक सदस्य देश पर हमला सभी देशों पर हमला माना जाएगा, और उसके बचाव के लिए सभी सदस्य देश अपनी सेना लगाएंगे।
हालिया पृष्ठभूमि
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन को रूस-यूक्रेन युद्ध के प्राइमरी फंडर्स बताया था। उन्होंने रूस पर कठोर टैरिफ लगाने की धमकी दी थी और NATO देशों से भी इसी तरह का रुख अपनाने की अपील की थी।
NATO चीफ का यह बयान न केवल भारत बल्कि वैश्विक राजनीति में भी सवाल खड़े करता है। भारत ने साफ कर दिया है कि उसकी विदेश नीति तथ्यों और संतुलन पर आधारित है और किसी भी तरह की गलत व्याख्या स्वीकार्य नहीं है। अब देखना होगा कि इस विवाद पर NATO की ओर से क्या प्रतिक्रिया आती है।