Sameer Wankhede, The Bad Boys of Bollywood: 25 सितंबर को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के पूर्व अधिकारी Sameer Wankhede ने वेब सीरीज़ The Bads of Bollywood के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज किया। उनका कहना है कि इस शो ने न केवल उनकी छवि को नुकसान पहुँचाया है बल्कि देश और कानून का भी अपमान किया है।
इस मामले पर 26 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। लेकिन कोर्ट ने Sameer Wankhede की दलीलों पर कड़ा रुख अपनाते हुए उन्हें फटकार लगाई। जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने पूछा कि मामला दिल्ली में क्यों दाखिल किया गया जबकि घटनाक्रम मुंबई से जुड़ा है? इस पर वानखड़े के वकील संदीप शेट्टी ने दलील दी कि यह वेब सीरीज़ दिल्ली में देखने के लिए प्रकाशित हुई, इसलिए दिल्ली की जनता पर भी इसका प्रभाव पड़ा है और उनके मुवक्किल की छवि यहां भी खराब हुई।
कोर्ट ने हालांकि इस तर्क को कमजोर मानते हुए साफ किया कि जब तक यह साबित नहीं होता कि मामला सीधे तौर पर दिल्ली से जुड़ा है, तब तक अदालत इस पर विचार नहीं करेगी। साथ ही उन्होंने Sameer Wankhede और उनके वकील को सलाह दी कि वे अपनी याचिका में बदलाव करें और स्पष्ट करें कि मामला दिल्ली अधिकार क्षेत्र में क्यों आना चाहिए।
क्या है मानहानि का दावा और Sameer Wankhede की आपत्तियाँ ?
समीर वानखड़े ने आरोप लगाया है कि शो में दिखाया गया एक नारकोटिक्स अधिकारी, जो बॉलीवुड पार्टियों में छापेमारी करता है और “War Against Drugs” तथा “सत्यमेव जयते” जैसे नारे लगाता है, उन्हें ही दर्शाता है। यह किरदार नाम से नहीं दिखाया गया, लेकिन पब्लिक इसे वानखड़े से जोड़कर देख रही है।
उनका कहना है कि इस चित्रण ने उनकी छवि को नुकसान पहुँचाया और समाज में उनके प्रति नकारात्मक धारणा बनी। इसी वजह से उन्होंने शो के निर्माताओं – शाहरुख खान, रेड चिल्ली एंटरटेनमेंट, Netflix और अन्य जिम्मेदार पक्षों पर मानहानि का मुकदमा किया है।
25 करोड़ का दावा
वानखड़े ने ₹25 करोड़ के हर्जाने की मांग की है। हालांकि उन्होंने यह भी घोषणा की है कि यदि उन्हें यह राशि मिलती है तो वह इसे टाटा मेमोरियल कैंसर ट्रस्ट को दान कर देंगे। उनका कहना है कि उनका उद्देश्य पैसा कमाना नहीं, बल्कि अपनी प्रतिष्ठा की रक्षा करना है।
पृष्ठभूमि
समीर वानखड़े उस समय चर्चा में आए थे जब 2021 में आर्यन खान ड्रग्स केस की जांच उनके नेतृत्व में हुई थी। उस दौरान भी वानखड़े पर कई तरह के आरोप लगे, लेकिन उन्होंने खुद को हमेशा ईमानदार अधिकारी बताया। अब यह नया मामला उनके करियर और छवि को फिर से सुर्खियों में ले आया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने अभी इस मामले को विचार योग्य नहीं माना है। अब सबकी नज़र इस बात पर है कि वानखड़े अपने केस में क्या बदलाव करते हैं और क्या अदालत उनकी दलीलों को मान्यता देती है। यह केस न सिर्फ उनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा से जुड़ा है बल्कि वेब कंटेंट और वास्तविक जीवन की घटनाओं के बीच सीमाओं पर भी बहस खड़ा कर रहा है।