Ambani vs Adani: गुजरात के कच्छ के रण में भारत के दो सबसे बड़े उद्योगपति—मुकेश अंबानी और गौतम अडानी—ने लगभग 10 लाख एकड़ जमीन खरीदी है। यह क्षेत्रफल करीब पाँच सिंगापुर के बराबर है। इस सौदे को भारत की “ग्रीन गोल्ड माइन” कहा जा रहा है, क्योंकि यहां पर होने वाला निवेश देश की ऊर्जा नीति और आर्थिक भविष्य को पूरी तरह बदल सकता है।
अंबानी और अडानी की योजनाएँ
मुकेश अंबानी की कंपनी Reliance Industries ने लगभग 5.5 लाख एकड़ जमीन खरीदी है। कंपनी ने घोषणा की है कि इस इलाके में ₹75,000 करोड़ का पूंजीगत निवेश किया जाएगा। यह निवेश सोलर पैनल (फोटोवोल्टिक सेल्स), बैटरी सेल्स, इलेक्ट्रोलाइजर और ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन में किया जाएगा। रिलायंस की योजना है कि जामनगर को दुनिया का सबसे बड़ा पारंपरिक और नई ऊर्जा का कॉम्प्लेक्स बनाया जाए। 2032 तक कंपनी का लक्ष्य 3 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का है, जिससे Reliance का न्यू एनर्जी बिज़नेस उसके तेल और केमिकल कारोबार जितना बड़ा हो सकता है।
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वहीं, अडानी ग्रुप ने 4.5 लाख एकड़ जमीन ली है। कंपनी का खवाड़ा रिन्यूएबल एनर्जी पार्क पहले से ही दुनिया के सबसे बड़े ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स में गिना जाता है। इसका लक्ष्य सौर और पवन ऊर्जा से 30 गीगावाट स्वच्छ बिजली उत्पन्न करना है। अडानी पहले ही फरवरी 2024 में राष्ट्रीय ग्रिड को बिजली सप्लाई कर चुके हैं। अब ग्रुप का मकसद है कि मौजूदा ऊर्जा पार्क को और बड़े स्तर पर विस्तार दिया जाए।
रण ऑफ कच्छ क्यों चुना गया?
रण ऑफ कच्छ की विशेषता है कि यहां साल के 300 से ज्यादा दिन धूप उपलब्ध रहती है, जिससे सौर ऊर्जा उत्पादन बेहद आसान हो जाता है। इसके अलावा यह बंजर इलाका सोलर पार्क्स और विंड टरबाइन लगाने के लिए आदर्श माना जाता है। यहां की हवाओं की तेज रफ्तार से पवन ऊर्जा का भी उत्पादन संभव है। यही कारण है कि दोनों ग्रुप इस इलाके को ग्रीन एनर्जी हब बनाने की कोशिश में हैं।
संभावित असर और फायदे
विशेषज्ञों का अनुमान है कि दोनों प्रोजेक्ट्स के पूरा होने पर यहां से इतनी बिजली पैदा हो सकती है कि भारत समेत पूरे भारतीय उपमहाद्वीप की 10% ऊर्जा की जरूरत पूरी हो सके। इसमें पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव जैसे देश भी शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा यह प्रोजेक्ट हजारों रोजगार पैदा करेगा और बिजली की लागत को ₹2 प्रति यूनिट से भी कम कर सकता है।
साथ ही, इस क्षेत्र के विकास से यहां नई अर्थव्यवस्था खड़ी होगी। फिलहाल रण ऑफ कच्छ एक बंजर क्षेत्र है, जहां कुछ कबीले और नमक उत्पादन के अलावा बहुत कम गतिविधियाँ होती हैं। ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स से न केवल उद्योगपति बल्कि आम जनता और भारत का ग्रीन एनर्जी लक्ष्य भी लाभान्वित होगा।
भविष्य की जंग
बर्नस्टीन जैसी रिसर्च फर्म का मानना है कि अडानी फिलहाल रिन्यूएबल एनर्जी की बिक्री और ट्रांसमिशन में मजबूत स्थिति में हैं, जबकि Reliance का फायदा मैन्युफैक्चरिंग, डाटा सेंटर और ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में है। देखा जाए तो आने वाले सालों में भारत की ग्रीन एनर्जी इंडस्ट्री में सबसे बड़ा खिलाड़ी कौन होगा, यह इस प्रोजेक्ट्स की सफलता पर निर्भर करेगा।