H1B Visa: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने H1B वीजा सिस्टम में ऐतिहासिक बदलाव की घोषणा की है। नए नियमों के तहत अब वीजा का चयन लॉटरी सिस्टम की जगह स्किल और सैलरी के आधार पर किया जाएगा। साथ ही आवेदन फीस को भी सीधे $1 लाख (करीब ₹83 लाख) कर दिया गया है।
अब कैसे होगा चयन?
पहले H1B वीजा के लिए लॉटरी सिस्टम लागू था, जिसमें किसे वीजा मिलेगा यह किस्मत पर निर्भर करता था। लेकिन अब नियम बदल गए हैं:
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हाई स्किल्ड और हाई पे करने वाले जॉब्स को प्राथमिकता दी जाएगी।
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कंपनियों को विदेशी वर्कर तभी मिलेंगे जब वे अच्छे पैकेज पर काम करेंगे।
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अमेरिकी सरकार का कहना है कि यह कदम अमेरिकी वर्कर्स को प्राथमिकता देने के लिए उठाया गया है।
नई फीस कितनी भारी?
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पहले फीस कंपनी के साइज के हिसाब से $215 से $5000 तक होती थी।
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अब यह फीस सीधे $100,000 (₹83 लाख) कर दी गई है।
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इससे खासकर छोटे और मिड-लेवल बिजनेस पर बड़ा असर पड़ेगा।
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असर और अनुमानित बढ़ोतरी
अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के अनुसार:
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साल 2026 से H1B वर्कर्स की कुल सैलरी लगभग $502 मिलियन (₹4200 करोड़) तक बढ़ जाएगी।
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2027 में यह आंकड़ा $1 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
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2028 में $1.5 अरब डॉलर और 2029–2035 के बीच लगभग $4 अरब डॉलर तक बढ़ोतरी का अनुमान है।
छोटे बिजनेस पर संकट
होमलैंड सिक्योरिटी का मानना है कि नए नियमों से करीब 5200 छोटे बिजनेस प्रभावित होंगे, क्योंकि वे विदेशी वर्कर्स पर डिपेंड हैं। भारी फीस और नए स्किल-आधारित चयन सिस्टम से उन्हें लेबर की कमी झेलनी पड़ सकती है।
आलोचना बनाम समर्थन
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आलोचक: उनका कहना है कि ट्रंप का यह कदम इनोवेशन को नुकसान पहुंचाएगा। हजारों भारतीय और चीनी प्रोफेशनल्स जो अमेरिका में टेक सेक्टर को मजबूती दे रहे हैं, वे अब कनाडा और यूके जैसे देशों का रुख कर सकते हैं।
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समर्थक: उनका तर्क है कि अब अमेरिकी कंपनियां सस्ते विदेशी लेबर पर निर्भर नहीं रहेंगी और अमेरिकी वर्कर्स को ज्यादा मौके मिलेंगे।
ट्रंप का इमिग्रेशन एजेंडा
जनवरी 2025 में राष्ट्रपति पद संभालने के बाद से ही डोनाल्ड ट्रंप ने इमीग्रेशन के मुद्दे पर सख्त रवैया अपनाया है।
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बड़े पैमाने पर डिपोर्टेशन की कोशिशें
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गैरकानूनी प्रवासियों के बच्चों को नागरिकता देने पर रोक
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और अब H1B वीजा प्रोग्राम में भारी बदलाव
इन फैसलों ने अमेरिकी राजनीति और ग्लोबल टेक इंडस्ट्री दोनों में बड़ी बहस छेड़ दी है।