Delhi CM Rekha Gupta, Congress: दिल्ली की मुख्यमंत्री Rekha Gupta इन दिनों अपने एक बयान को लेकर बड़े राजनीतिक विवाद में घिर गई हैं। मामला तब शुरू हुआ जब उन्होंने एक इंटरव्यू में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा— “जब 70 सालों से वो (कांग्रेस) EVM से चुनाव जीत रहे थे तब सब ठीक था, और जब हम जीतते हैं तो EVM हैक हो गया। ये कौन सा फार्मूला है? किस किताब में लिखा है?”
यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और विपक्ष ने तुरंत इस पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी ने इसे बीजेपी द्वारा कथित तौर पर EVM हैकिंग को स्वीकार करने जैसा बताया।
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20 सितंबर को न्यूज़ चैनल NDTV को दिए गए इंटरव्यू में रेखा गुप्ता से दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव के नतीजों पर सवाल किया गया था। एबीवीपी की जीत से उत्साहित गुप्ता ने राहुल गांधी के आरोपों को झूठा और जनता को गुमराह करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने दशकों तक सत्ता चलाई और अब पराजय के बाद सिर्फ बहाने बनाए जा रहे हैं।
हालांकि उनके जवाब के एक हिस्से को विपक्ष ने ‘कबूलनामा’ बताते हुए सोशल मीडिया पर शेयर करना शुरू कर दिया। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सवाल उठाया कि “मुख्यमंत्री ऐसा बयान कैसे दे सकती हैं?” वहीं, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लिखा— “चलो आखिरकार मान ही लिया। अब सबूत चाहिए? देखना है खुद हटेंगी या हटाई जाएंगी।”
आम आदमी पार्टी ने भी अपने आधिकारिक हैंडल से पोस्ट करते हुए आरोप लगाया कि बीजेपी वोट चोरी करने का घमंड तक कर रही है। उन्होंने Rekha Gupta के बयान को बीजेपी के असली चेहरे का खुलासा बताया।
दूसरी ओर, दिल्ली बीजेपी ने विपक्ष पर पलटवार किया। पार्टी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने इंटरव्यू के एक एडिटेड हिस्से को शेयर कर विवाद खड़ा करने की कोशिश की है। बीजेपी का कहना है कि पिछले सात महीनों में गुप्ता सरकार ने जितने विकास कार्य किए हैं, उसने केजरीवाल के 10 साल के शासन को पीछे छोड़ दिया है। यही वजह है कि विपक्ष उनकी छवि खराब करने की कोशिश कर रहा है।
इस पूरे विवाद ने एक बार फिर से EVM हैकिंग के मुद्दे को राष्ट्रीय बहस का हिस्सा बना दिया है। राहुल गांधी और विपक्षी दल लंबे समय से चुनाव आयोग और बीजेपी पर सवाल उठाते रहे हैं, जबकि बीजेपी बार-बार इन आरोपों को निराधार बताती रही है।
अब देखना होगा कि यह विवाद केवल सोशल मीडिया तक सीमित रहता है या फिर आने वाले चुनावों में यह बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनकर उभरता है।