SC and Kangna: सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी सांसद और अभिनेत्री Kangana Ranaut को किसान आंदोलन से जुड़े उनके विवादित ट्वीट के मामले में राहत देने से मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि उन्होंने अपने ट्वीट में ‘मसाला घोल दिया’ था। साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि उनके ट्वीट पर टिप्पणी करने के लिए न कहा जाए, क्योंकि इससे ट्रायल पर असर पड़ सकता है। सुनवाई के बाद कंगना के वकील ने याचिका वापस ले ली।
SC and Kangna
12 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में Kangana Ranaut की याचिका पर सुनवाई हुई। यह याचिका किसान आंदोलन के दौरान किए गए उनके एक विवादित ट्वीट से जुड़ी थी, जिसके खिलाफ मानहानि का केस दर्ज किया गया था। कंगना ने इस केस को रद्द करने की मांग की थी। उनके खिलाफ मानहानि का मामला पंजाब के भटिंडा कोर्ट में चल रहा है। सुनवाई जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच कर रही थी।
बेंच ने कहा, “आपने अपने कमेंट्स में मसाला डाला। यह कोई सिंपल रीट्वीट नहीं था। इस ट्वीट की व्याख्या रद्द करने वाली याचिका में नहीं हो सकती। आपकी सफाई ट्रायल कोर्ट के लिए है, यहां के लिए नहीं।”
कंगना के उस ट्वीट में क्या था? उन्होंने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा था: “हा हा… यह वही दादी हैं जो टाइम मैगजीन में सबसे पावरफुल इंडियन के तौर पर छपी थीं और अब ₹100 में उपलब्ध हैं। पाकिस्तानी पत्रकारों ने भारत का इंटरनेशनल पीआर हाईजैक कर लिया है। हमें अपने लोग चाहिए जो दुनिया में हमारी ओर से बोलें।” कंगना ने आरोप लगाया था कि किसान आंदोलन में शामिल बुजुर्ग महिला महिंदर कौर पैसे के लिए विरोध में बैठी थीं। इसी ट्वीट के चलते उनके खिलाफ मानहानि का केस दर्ज हुआ।
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कंगना के वकील की मुख्य दलील थी कि X पोस्ट में महिंदर कौर का जिक्र ही नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि यह शाहीन बाग की बिलकिस दादी पर था। वकील ने दावा किया कि मुद्दा सिर्फ एक रीट्वीट का है, जिसे कई लोगों ने रीट्वीट किया था, और कंगना ने स्पष्टीकरण भी जारी किया था, लेकिन उसे नहीं माना गया।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील से सहमति नहीं जताई। बेंच ने कहा, “शिकायत सबूत के नाकाफी होने पर खारिज की जा सकती है। लेकिन हमें आपके ट्वीट पर टिप्पणी करने के लिए मत कहिए। इससे ट्रायल प्रभावित हो सकता है। आप इस याचिका को वापस लीजिए।” इसके बाद वकील ने याचिका वापस ले ली।
शिकायत में क्या आरोप थे? ट्रायल कोर्ट में दर्ज कंप्लेंट में कहा गया कि कंगना ने आरोप लगाया कि पैसे के लिए बुजुर्ग महिला को मीडिया के सामने झूठे तरीके से पेश किया गया। साथ ही, महिला की तुलना दूसरी एक्टिविस्ट से करते हुए आपत्तिजनक टिप्पणी की। इस आधार पर एफआईआर दर्ज हुई, जिसमें आईपीसी की धारा 499 और 500 लगाई गईं, जो मानहानि से जुड़ी हैं।
22 फरवरी 2022 को भटिंडा कोर्ट ने कंगना को तलब किया। इसके खिलाफ उन्होंने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन 1 अगस्त को हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने समन जारी करने से पहले मामले पर गौर किया होगा, और प्राइमा फेसी मानहानि का केस बनता है।
अब सुप्रीम कोर्ट ने भी राहत देने से इनकार कर दिया है। कंगना को इस मामले में जांच का सामना करना होगा। जांच पूरी होने के बाद ट्रायल कोर्ट में आगे की कार्यवाही होगी।