Bihar Politics: क्या फिर साथ आएंगे लालू-नीतीश?

Bihar Politics: बिहार की राजनीति हमेशा से अप्रत्याशित मोड़ों के लिए जानी जाती है। अभी नीतीश कुमार बीजेपी के साथ खड़े हैं, जबकि लालू प्रसाद यादव की आरजेडी कांग्रेस के साथ गठबंधन में है। लेकिन जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव की तारीख नज़दीक आती जा रही है, सियासी चर्चाओं

EDITED BY: Vishal Yadav

UPDATED: Thursday, September 11, 2025

Bihar Politics: क्या फिर साथ आएंगे लालू-नीतीश?

Bihar Politics: बिहार की राजनीति हमेशा से अप्रत्याशित मोड़ों के लिए जानी जाती है। अभी नीतीश कुमार बीजेपी के साथ खड़े हैं, जबकि लालू प्रसाद यादव की आरजेडी कांग्रेस के साथ गठबंधन में है। लेकिन जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव की तारीख नज़दीक आती जा रही है, सियासी चर्चाओं में यह सवाल उठने लगा है कि क्या दोनों दिग्गज एक बार फिर साथ आ सकते हैं?

तेजस्वी यादव, जो कभी नीतीश को “पलटू चाचा” कहते थे, क्या चुनाव बाद उन्हें अपना राजनीतिक गार्जियन मान लेंगे? और क्या नीतीश, जिन्हें अपने अंतिम चुनाव का सामना करने वाला नेता कहा जा रहा है, अपनी राजनीतिक विरासत तेजस्वी के हवाले कर सकते हैं?

Bihar Politics: 2014 से 2015 तक का सफर

2014 के लोकसभा चुनाव में जब नीतीश कुमार अलग-थलग पड़ गए और आरजेडी कांग्रेस के साथ खड़ी रही, तब लालू ने साफ कहा था कि “नीतीश बीजेपी की गोद में बैठे हैं, उनसे हाथ मिलाने का सवाल ही नहीं उठता।” मगर राजनीति की धुरी जल्द ही बदली। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश और लालू ने गले लगकर महागठबंधन बनाया और बीजेपी को बड़ा झटका दिया।

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जेपी आंदोलन से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक

लालू यादव और नीतीश कुमार दोनों की राजनीति की जड़ें जेपी आंदोलन से जुड़ी हैं। जहां लालू ने बहुत कम उम्र में सांसद बनकर तेजी से ऊंचाई पाई, वहीं नीतीश को लगातार हार का सामना करना पड़ा। 1985 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने धीरे-धीरे अपनी पहचान बनाई। दिलचस्प बात यह रही कि विपक्ष का नेता बनाने में लालू को आगे बढ़ाने वाले नीतीश ही थे।

Bihar Politics: क्या फिर साथ आएंगे लालू-नीतीश?

दोस्ती से दूरी तक

1990 में लालू यादव मुख्यमंत्री बने और नीतीश उनके करीब रहे। लेकिन धीरे-धीरे दोनों के बीच मतभेद गहराने लगे। गवर्नेंस और वोट बैंक की राजनीति पर दोनों नेताओं के विचार टकराने लगे। आखिरकार नीतीश ने अलग राह पकड़ी और समता पार्टी बनाई। 1995 के चुनाव में लालू का दबदबा कायम रहा, लेकिन आने वाले सालों में बीजेपी के सहयोग से नीतीश ने सत्ता में वापसी की और राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत कर ली।

फिर बदलेंगे समीकरण?

आज जब कहा जा रहा है कि यह नीतीश कुमार का आखिरी चुनाव हो सकता है और उनकी पार्टी में बेटे निशांत को विरासत सौंपने की चर्चा है, ऐसे में सवाल उठना लाज़मी है कि क्या नीतीश एक बार फिर तेजस्वी यादव का हाथ थाम सकते हैं?

Bihar की राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं। 2015 इसका बड़ा सबूत है। अब देखना यह है कि आने वाले चुनाव बाद समीकरण किस करवट बैठते हैं।

Bihar Politics: क्या फिर साथ आएंगे लालू-नीतीश?

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