Modi Meloni DeepFake: उत्तर प्रदेश के रायबरेली से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां के रहने वाले दुर्गेश कुमार नामक युवक ने प्रधानमंत्री Narendra Modi और इटली की प्रधानमंत्री Georgia Meloni का एक आपत्तिजनक वीडियो बनाया। यह वीडियो असली नहीं था, बल्कि AI और Deepfake तकनीक की मदद से तैयार किया गया था। दुर्गेश ने इसे अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपलोड कर दिया, जिसके बाद यह सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।
Modi Meloni DeepFake: शिकायत के बाद हुई गिरफ्तारी
वीडियो वायरल होने के बाद रायबरेली के ही रहने वाले Hariom Chautrvedi, जो कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े कार्यकर्ता हैं, ने इस मामले की शिकायत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर की। उन्होंने लिखा कि देश के प्रधानमंत्री का फेक वीडियो बनाकर पोस्ट करना बेहद आपत्तिजनक है और इससे आम जनता की भावनाएं आहत हो रही हैं।
Hariom Chautrvedi की शिकायत पर बछरावा पुलिस थाने में आरोपी दुर्गेश कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया और तुरंत कार्रवाई करते हुए युवक को गिरफ्तार भी कर लिया गया। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि आरोपी ने यह वीडियो खुद ही बनाया था या किसी और की मदद से।
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डीपफेक तकनीक और खतरे
यह पहला मामला नहीं है जब किसी बड़े नेता या जानी-मानी शख्सियत को Deepfake वीडियो का शिकार होना पड़ा हो। डीपफेक का मतलब है ऐसा वीडियो या फोटो जो पूरी तरह से असली लगता है लेकिन वास्तव में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग सॉफ्टवेयर के जरिए तैयार किया गया होता है।
इटली की प्रधानमंत्री Georgia Meloni पहले भी कई बार डीपफेक वीडियो और तस्वीरों का शिकार हो चुकी हैं। कुछ समय पहले उनकी और उनकी बहन की छेड़छाड़ की गई तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल हुई थीं। यही नहीं, इटली की कई और मशहूर हस्तियों को भी डीपफेक का निशाना बनाया गया था।
भारत में भी ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं। कुछ महीने पहले उत्तर प्रदेश के कैराना से सांसद Ira Hassan का एक आपत्तिजनक वीडियो वायरल हुआ था, जो जांच में फर्जी निकला। वह वीडियो हरियाणा के नूह जिले के दो युवकों ने बनाया था और सोशल मीडिया पर अपलोड किया था। पूछताछ में दोनों ने स्वीकार किया कि उन्होंने यह वीडियो केवल व्यूज पाने के लिए बनाया था।
पीएम मोदी की चिंता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कई बार Deepfake तकनीक पर चिंता जता चुके हैं। उन्होंने कहा था कि “एआई की ताकत से बनाए जाने वाले डीपफेक वीडियो एक बड़ा खतरा हैं, क्योंकि विविधता से भरे समाज में छोटी-छोटी बातों पर भी लोगों की भावनाएं आहत हो सकती हैं।”
पीएम मोदी ने सुझाव दिया था कि जैसे सिगरेट के पैकेट पर चेतावनी लिखी होती है, उसी तरह हर डीपफेक कंटेंट पर भी एक Warning Label होना चाहिए, ताकि लोग समझ सकें कि यह वीडियो वास्तविक नहीं बल्कि तकनीक से तैयार किया गया है।
सोशल मीडिया पर जिम्मेदारी की मांग
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर भी चर्चा तेज हो गई है। कई लोग मांग कर रहे हैं कि सरकार और सोशल मीडिया कंपनियां मिलकर Deepfake कंटेंट को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएं। लोगों का कहना है कि तकनीक का गलत इस्तेमाल न केवल नेताओं और हस्तियों की छवि खराब करता है, बल्कि समाज में अफवाहें और नफरत भी फैला सकता है।
रायबरेली का यह मामला एक बार फिर साफ करता है कि AI और Deepfake का दुरुपयोग लोकतांत्रिक समाज के लिए कितना बड़ा खतरा बन सकता है। तकनीक जितनी तेजी से आगे बढ़ रही है, उतनी ही तेजी से उसके गलत इस्तेमाल के मामले भी सामने आ रहे हैं। यही वजह है कि विशेषज्ञ और नेता बार-बार चेतावनी दे रहे हैं कि इस पर नियंत्रण के लिए सख्त कानून और जागरूकता की जरूरत है।
फिलहाल आरोपी दुर्गेश कुमार पुलिस की गिरफ्त में है और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई जारी है।