Nepal Protest: नेपाल इन दिनों भारी उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। देशभर में चल रहे Nepal Protest ने राजनीतिक हलकों से लेकर आम जनता तक सबको झकझोर कर रख दिया है। सड़कों पर गुस्से से भरे प्रदर्शनकारियों की भीड़ और प्रशासन के सख्त रवैये ने हालात को और गंभीर बना दिया है।
जनता का गुस्सा क्यों फूटा?
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार ने जनता से जुड़े अहम मुद्दों पर आंख मूंद ली है। महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और प्रशासनिक दमन जैसे मुद्दों ने लोगों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया। लोगों का कहना है कि लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनने की कोशिश की जा रही है।
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सड़कों पर तनावपूर्ण माहौल
कई शहरों में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़पें देखने को मिली हैं। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। वहीं प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखना चाहते थे, लेकिन सरकार ने बल प्रयोग कर स्थिति को और भड़का दिया।
सोशल मीडिया पर गूंज
Nepal Protest की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। ट्विटर और फेसबुक पर #NepalProtest हैशटैग लगातार ट्रेंड कर रहा है। दुनिया भर से लोग इस आंदोलन पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं और नेपाल की जनता के साथ एकजुटता दिखा रहे हैं।
विपक्ष का समर्थन
नेपाल की विपक्षी पार्टियों ने भी प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया है। उनका कहना है कि सरकार लोगों की समस्याओं से मुंह मोड़ रही है। विपक्ष ने संसद में इस मुद्दे को उठाने का ऐलान किया है और जल्द ही संसद के भीतर और बाहर बड़े स्तर पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
सरकार की सफाई
दूसरी ओर सरकार का कहना है कि विपक्ष जनता को भड़का रहा है। अधिकारियों का दावा है कि जो भी कदम उठाए जा रहे हैं, वे देश की सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने के लिए जरूरी हैं। लेकिन जनता इसे मानने को तैयार नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय निगाहें
नेपाल में बढ़ते प्रदर्शन ने अंतरराष्ट्रीय जगत का भी ध्यान खींचा है। पड़ोसी देश और वैश्विक संस्थान हालात पर नजर बनाए हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर हालात जल्द काबू में नहीं आए तो यह संकट नेपाल की अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है।
अब सवाल यही है कि यह आंदोलन कितना लंबा खिंचेगा और इसका असर नेपाल की राजनीति पर क्या होगा। जनता चाहती है कि उनकी आवाज़ सुनी जाए और सरकार वास्तविक सुधारों की दिशा में कदम उठाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो Nepal Protest और उग्र हो सकता है।