Festival Season Sale: डिस्काउंट्स, No Cost EMI और आपके फायदे-नुकसान की असली सच्चाई

Festival Season Sale: भारत में जल्द ही फेस्टिवल सीजन की शुरुआत होने वाली है। यह वह समय है जब बाजारों और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर बंपर सेल्स और डिस्काउंट्स की बाढ़ आ जाती है। दिवाली से पहले आने वाली इन सेल्स में उपभोक्ता न सिर्फ मिठाइयों और खुशियों

EDITED BY: Vishal Yadav

UPDATED: Monday, September 8, 2025

Festival Season Sale: डिस्काउंट्स, No Cost EMI और आपके फायदे-नुकसान की असली सच्चाई

Festival Season Sale: भारत में जल्द ही फेस्टिवल सीजन की शुरुआत होने वाली है। यह वह समय है जब बाजारों और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर बंपर सेल्स और डिस्काउंट्स की बाढ़ आ जाती है। दिवाली से पहले आने वाली इन सेल्स में उपभोक्ता न सिर्फ मिठाइयों और खुशियों का मजा लेते हैं, बल्कि अपने वॉलेट्स को भी बड़े ऑफर्स और डील्स के लिए तैयार रखते हैं।

इस बार फेस्टिव सीजन खास है क्योंकि ई-कॉमर्स कंपनियों की सेल्स के साथ-साथ GST रेट कट का फायदा भी ग्राहकों को मिलेगा। हालांकि, हर बार की तरह इस बार भी ग्राहकों को डिस्काउंट्स, नो-कॉस्ट EMI, प्रोडक्ट बंडलिंग और प्रीमियम कस्टमर ऑफर्स जैसी चीजों से लुभाया जाएगा। सवाल यह है कि क्या ये ऑफर्स सच में फायदे का सौदा हैं या इनकी आड़ में कंपनियां अपने प्रॉफिट्स बढ़ा रही हैं?

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No Cost EMI की हकीकत

नो-कॉस्ट EMI को अक्सर ग्राहक ‘मुफ्त’ सुविधा मान लेते हैं। उदाहरण के लिए, अगर कोई मोबाइल फोन ₹60,000 का है, तो ग्राहक को लगता है कि वह इसे 12 महीनों में ₹5,000 प्रति माह की EMI पर बिना ब्याज के खरीद सकता है।

लेकिन हकीकत इससे अलग है। कई बार बैंक प्रोसेसिंग फी (1–3%) के रूप में चार्ज जोड़ देते हैं। वहीं कुछ कंपनियां प्रोडक्ट के MRP में इंटरेस्ट अमाउंट एडजस्ट कर देती हैं। यानी ग्राहक को सीधे तौर पर ब्याज न सही, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से अतिरिक्त राशि चुकानी ही पड़ती है।

फाइनेंस एक्सपर्ट्स का कहना है कि “फ्री EMI जैसी कोई चीज नहीं होती। इसका खर्च या तो ब्रांड, रिटेलर या ग्राहक को ही उठाना पड़ता है।”

प्रोडक्ट बंडलिंग और लिमिटेड ऑफर्स

सेल के दौरान कंपनियां ग्राहकों को प्रोडक्ट बंडलिंग के जरिए ज्यादा खरीदारी के लिए प्रेरित करती हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप सिर्फ एक मोबाइल लेना चाहते हैं, तो ऑफर में उसके साथ हेडफोन और चार्जर भी जोड़ दिए जाते हैं ताकि आपको यह पैकेज ‘सस्ता’ लगे।

इसी तरह, कई प्रीमियम मेंबर्स को सेल के पहले दिन एक्सक्लूसिव प्राइसिंग दी जाती है। लेकिन जैसे-जैसे डिमांड बढ़ती है, प्राइस भी बढ़ जाता है। यानी जो कीमत रात 12 बजे दिख रही थी, वही अगली सुबह काफी ज्यादा हो सकती है।

टियर-2 और टियर-3 कस्बों पर फोकस

ई-कॉमर्स कंपनियां अब टियर-1 शहरों से बाहर निकलकर टियर-2 और टियर-3 कस्बों में ग्राहकों को जोड़ने की कोशिश कर रही हैं। इसके लिए कंपनियां किफायती इलेक्ट्रॉनिक सामान—जैसे रेफ्रिजरेटर, टीवी और किचन अप्लायंसेज़—पर भारी डिस्काउंट देती हैं। इससे उन्हें नए ग्राहकों को आकर्षित करने में मदद मिलती है।

Festival Season Sale: ग्राहकों के लिए सीख

फेस्टिव सीजन सेल्स भले ही आकर्षक लगती हों, लेकिन ग्राहकों को खरीदारी से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है:

  • हमेशा प्रोडक्ट की MRP और सेल प्राइस को ध्यान से कंपेयर करें।

  • EMI ऑप्शन चुनने से पहले प्रोसेसिंग फी और जीएसटी जैसे छिपे चार्ज चेक करें।

  • सिर्फ वही प्रोडक्ट खरीदें जिसकी आपको जरूरत है, लालच में आकर नहीं।

  • बंडल ऑफर्स से सावधान रहें—कभी-कभी ये बचत से ज्यादा खर्च करा देते हैं।

कंपनियों का बड़ा मुनाफा

रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिर्फ 10 दिन चलने वाली ये फेस्टिव सेल्स कई ई-कॉमर्स कंपनियों के सालाना रेवेन्यू का 25% तक योगदान करती हैं। यानी ग्राहकों को जो ‘बड़ा डिस्काउंट’ दिखता है, उसके पीछे कंपनियों की मजबूत रणनीति और प्रॉफिट मॉडल काम करता है।

त्यौहारों का मौसम खुशियों और खरीदारी का होता है। डिस्काउंट्स और EMI ऑफर्स ग्राहकों को राहत जरूर देते हैं, लेकिन इनके पीछे छिपे शर्तों को समझना उतना ही जरूरी है। अगर ग्राहक समझदारी से खरीदारी करें और सिर्फ जरूरत की चीजें लें, तो फेस्टिवल सीजन सेल्स वाकई फायदे का सौदा साबित हो सकती हैं।

Festival Season Sale: डिस्काउंट्स, No Cost EMI और आपके फायदे-नुकसान की असली सच्चाई

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