NCERT, NCERT History book Facts Error: भारत के स्कूली पाठ्यक्रमों में ऐतिहासिक घटनाओं की प्रस्तुति को लेकर एक बार फिर विवाद छिड़ गया है। इस बार विवाद का केंद्र बना है NCERT (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) द्वारा प्रकाशित इतिहास की किताबों में राजपूत, अहोम और पाइका विद्रोह से संबंधित तथ्यों की कथित गड़बड़ियां।
इन तीनों ऐतिहासिक आंदोलनों की व्याख्या को लेकर कुछ विद्वानों, संगठनों और क्षेत्रीय नेताओं ने आपत्ति जताई है और तथ्यों को “भ्रामक” और “ऐतिहासिक दृष्टि से अनुचित” बताया है. बढ़ते विवाद को देखते हुए NCERT ने तत्काल प्रभाव से एक विशेषज्ञ समिति गठित कर दी है, जो इन आरोपों की जांच करेगी और आवश्यक सुधारों की सिफारिश करेगी।
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NCERT History book विवाद का मूल कारण क्या है?
- राजपूत इतिहास की प्रस्तुति: कुछ इतिहासकारों और सामाजिक संगठनों का आरोप है कि इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में राजपूत शासकों के शौर्य, स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका और सांस्कृतिक योगदान को या तो नजरअंदाज किया गया है या फिर उन्हें बेहद सीमित रूप में प्रस्तुत किया गया है।
- अहोम विद्रोह: असम से संबंधित अहोम विद्रोह, जो 1828 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ हुआ था, को लेकर कहा गया है कि उसे ‘आंदोलन’ कहने की बजाय केवल ‘स्थानीय असंतोष’ के रूप में दर्शाया गया है, जबकि क्षेत्रीय लोग इसे स्वतंत्रता संग्राम के एक अहम अध्याय के रूप में देखते हैं।
- पाइका विद्रोह: ओडिशा में 1817 में हुए पाइका विद्रोह को लेकर भी विवाद है। ओडिया समाज और कई नेताओं का मानना है कि यह देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक था, लेकिन किताबों में इसे सीमित महत्व का बताया गया है।
NCERT का जवाब और कार्रवाई
NCERT ने विवादों को गंभीरता से लेते हुए एक उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, जिसमें इतिहास, समाजशास्त्र और शिक्षा के क्षेत्र के विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। यह समिति तथ्यों की जांच करेगी और यदि आवश्यक हुआ, तो किताबों में संशोधन के सुझाव भी देगी।
NCERT के निदेशक ने बयान जारी कर कहा:
“हमें छात्रों को तथ्यात्मक और संतुलित इतिहास पढ़ाना है। यदि किसी भी ऐतिहासिक तथ्य की प्रस्तुति में त्रुटि या पक्षपात पाया जाता है, तो हम उसे सुधारने के लिए प्रतिबद्ध हैं। समिति की रिपोर्ट के आधार पर उचित कदम उठाए जाएंगे।”
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
इस विवाद ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। राजस्थान, ओडिशा और असम के कुछ स्थानीय नेताओं और संगठनों ने NCERT की पुस्तकों में अपने-अपने क्षेत्रीय नायकों की “अनदेखी” को लेकर नाराजगी जाहिर की है। ओडिशा के मुख्यमंत्री ने पाइका विद्रोह को राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले आंदोलन के रूप में मान्यता देने की बात दोहराई, वहीं असम के नेताओं ने अहोम योद्धाओं के योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार करने की मांग की। राजस्थान में भी राजपूत समाज ने इस मुद्दे को लेकर बैठकें कीं और मांग की कि छात्रों को अपने गौरवशाली इतिहास से अवगत कराया जाए।
इतिहासकारों में भी मतभेद
NCERT History book: इतिहासकारों के बीच इस विवाद को लेकर राय बंटी हुई है। कुछ का मानना है कि ऐतिहासिक घटनाओं की व्याख्या समय, क्षेत्रीय दृष्टिकोण और स्रोतों पर आधारित होती है, इसलिए एकरूपता कठिन है। वहीं कुछ विद्वानों का तर्क है कि लंबे समय से कुछ क्षेत्रों और समुदायों की ऐतिहासिक भूमिका को योजनाबद्ध तरीके से नजरअंदाज किया गया है, जिसे अब सुधारने की जरूरत है।
विशेषज्ञ समिति को आगामी कुछ हफ्तों में अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। इसके बाद NCERT उचित संशोधनों पर विचार करेगा। यदि बदलाव किए जाते हैं, तो वे 2026-27 शैक्षणिक सत्र की किताबों में लागू हो सकते हैं।
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह प्रश्न खड़ा कर दिया है कि भारत जैसे विविधता वाले देश में इतिहास को किस तरह संतुलित, निष्पक्ष और तथ्यात्मक रूप से पढ़ाया जाए। क्या हर क्षेत्र और समुदाय के नायकों को समान प्रतिनिधित्व मिल पा रहा है? यह बहस आने वाले समय में और तेज़ हो सकती है।