Samay Raina, Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण सुनवाई के दौरान मशहूर कॉमेडियन और ‘इंडियाज गॉट टैलेंट’ के होस्ट Samay Raina पेश हुए। मामला एक कॉमेडी शो के दौरान दिव्यांगजनों का मजाक उड़ाने से जुड़ा है, जिसमें रैना समेत कुल पांच सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को अदालत ने तलब किया था। इन सभी पर आरोप है कि उन्होंने शो में स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी (SMA) जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों सहित अन्य दिव्यांग व्यक्तियों का उपहास उड़ाया।
Samay Raina: सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
मंगलवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि मनोरंजन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में समाज के कमजोर वर्गों का मजाक नहीं उड़ाया जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह मामला सिर्फ कॉमेडी या मजाक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संवैधानिक मूल्यों और दिव्यांगजनों के अधिकारों का उल्लंघन है।
न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिंहा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने रैना सहित अन्य आरोपितों से जवाब मांगा है कि आखिर क्यों न उनके खिलाफ दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के कथित “कॉमिक एक्ट” समाज में नकारात्मक सोच को बढ़ावा देते हैं और दिव्यांगजनों की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं।
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आरोपों का विवरण
समय रैना के अलावा जिन अन्य सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को तलब किया गया है, उनमें यूट्यूब, इंस्टाग्राम और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सक्रिय कुछ प्रमुख नाम शामिल हैं। आरोप है कि इन सभी ने एक स्टैंडअप कॉमेडी एक्ट के दौरान स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी से पीड़ित लोगों की स्थिति को हास्य का विषय बनाया। इस शो के अंश सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद व्यापक स्तर पर नाराजगी देखी गई, खासतौर पर दिव्यांग समुदाय और उनके परिजनों की ओर से।
क्या है स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी (SMA)?
स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी (SMA) एक दुर्लभ और गंभीर न्यूरोमस्कुलर बीमारी है, जिससे मांसपेशियों की ताकत धीरे-धीरे कम होती जाती है। यह एक आनुवंशिक विकार है और इसकी चपेट में आए लोगों को चलने-फिरने, बोलने, यहां तक कि सांस लेने तक में परेशानी होती है। इस बीमारी से जूझ रहे मरीजों को पहले ही समाज में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, ऐसे में सार्वजनिक मंच पर उनका मजाक उड़ाया जाना बेहद असंवेदनशील माना गया है।
दिव्यांग संगठनों का विरोध
इस मामले को लेकर देशभर में दिव्यांगजनों के अधिकारों के लिए काम कर रही संस्थाओं ने जोरदार विरोध दर्ज कराया है। कई संगठनों ने कॉमेडी शो को न केवल आपत्तिजनक, बल्कि अमानवीय बताया है। सामाजिक कार्यकर्ता और दिव्यांग अधिकारों के लिए मुखर वकील मीनाक्षी अरुण ने कहा, “इस प्रकार की टिप्पणियां हमारे समाज की सोच को दर्शाती हैं, जहां अब भी दिव्यांगजनों को केवल हंसी का पात्र समझा जाता है।”
आगे की कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख अगले सप्ताह तय की है। अदालत ने सभी आरोपितों को विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है, जिसमें उन्हें यह स्पष्ट करना होगा कि उनका मकसद क्या था और क्या उन्होंने महसूस किया कि उनका कंटेंट किसी समुदाय को आहत कर सकता है। कोर्ट ने कहा कि यदि यह साबित होता है कि यह जानबूझकर किया गया था, तो कठोर दंड का प्रावधान किया जाएगा।
इस प्रकरण ने एक बार फिर यह प्रश्न उठाया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाएं क्या हैं और क्या हास्य के नाम पर किसी की गरिमा को ठेस पहुंचाना उचित है। सुप्रीम कोर्ट के आगामी निर्णय से यह तय होगा कि डिजिटल युग में जिम्मेदार कंटेंट निर्माण और सामाजिक संवेदनशीलता में संतुलन कैसे स्थापित किया जा सकता है।