HAL को मिली बड़ी कामयाबी: भारत में पहली बार किसी कंपनी को रॉकेट टेक्नोलॉजी का ट्रांसफर, अब बनाएगी SSLV रॉकेट

HAL, SSLV: भारत की रक्षा और एयरोस्पेस इंडस्ट्री की दिग्गज सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को एक बड़ा कॉन्ट्रैक्ट मिला है। HAL ने 511 करोड़ रुपये की बोली जीतते हुए Small Satellite Launch Vehicle (SSLV) बनाने का अधिकार और उसकी पूरी तकनीक (Technology Transfer) अपने नाम

EDITED BY: Vishal Yadav

UPDATED: Friday, June 20, 2025

HAL को मिली बड़ी कामयाबी: भारत में पहली बार किसी कंपनी को रॉकेट टेक्नोलॉजी का ट्रांसफर, अब बनाएगी SSLV रॉकेट

HAL, SSLV: भारत की रक्षा और एयरोस्पेस इंडस्ट्री की दिग्गज सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को एक बड़ा कॉन्ट्रैक्ट मिला है। HAL ने 511 करोड़ रुपये की बोली जीतते हुए Small Satellite Launch Vehicle (SSLV) बनाने का अधिकार और उसकी पूरी तकनीक (Technology Transfer) अपने नाम कर लिया है।

IN-SPACe (Indian National Space Promotion and Authorization Center) ने शुक्रवार को इस ऐतिहासिक ट्रांसफर की घोषणा की।


🌌 क्या है SSLV डील और क्यों है ये खास?

यह पहली बार है जब भारत में किसी स्पेस एजेंसी ने किसी कंपनी को पूर्ण लॉन्च व्हीकल टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की अनुमति दी है। यानी HAL अब:

  • खुद से SSLV रॉकेट बना सकेगी,

  • उसका व्यावसायिक उपयोग कर सकेगी,

  • और इस पर पूर्ण मालिकाना हक भी होगा।

IN-SPACe के चेयरमैन डॉ. पवन गोयनका ने बताया कि यह डील भारत की स्पेस इकोनॉमी को $44 बिलियन तक पहुंचाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। फिलहाल भारत की स्पेस इकॉनमी करीब $8.4 बिलियन की है और 2033 तक उसे 5 गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।


🛰️ SSLV क्या करता है?

SSLV यानी Small Satellite Launch Vehicle एक छोटा लेकिन शक्तिशाली रॉकेट है जो 500 किलो तक के सैटेलाइट्स को Low Earth Orbit (LEO) में पहुंचाने में सक्षम है। इसका इस्तेमाल खासकर छोटे प्राइवेट सैटेलाइट्स और स्टार्टअप्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाएगा।

इसकी मांग दुनिया भर में तेजी से बढ़ रही है क्योंकि:

  • कॉम्युनिकेशन, डेटा, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), और पर्यावरण मॉनिटरिंग के लिए छोटे सैटेलाइट्स की जरूरत बढ़ रही है।

  • SSLV की लॉन्च लागत कम होती है और समय बचाता है।


🏭 HAL को कैसे होगा फायदा?

🔧 HAL को हर साल 6-8 SSLV रॉकेट बनाने की उम्मीद है।
💰 हर रॉकेट से कंपनी को करीब $6.5 मिलियन (लगभग ₹54 करोड़) का रेवेन्यू मिलने की संभावना है।

📌 डॉ. गोयनका के मुताबिक, अगले 2 साल में HAL भारत में SSLV बनाने वाली अकेली कंपनी बन जाएगी।

HAL to manufacture, launch Isro-developed SSLV, technology trasfer to begin - India Today


🏁 टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की रेस में कौन-कौन था?

इसरो की टेक्नोलॉजी हासिल करने के लिए:

  • HAL के अलावा अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज

  • और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड भी इस रेस में थे।

लेकिन महीनों तक चली टेक्निकल और फाइनेंशियल इवैल्यूएशन के बाद HAL ने यह डील अपने नाम कर ली। शुरुआती चरण में कुल 20 कंपनियां दौड़ में थीं।


📈 बाजार में मिला पॉजिटिव रिस्पॉन्स

इस खबर के सामने आने के बाद शुक्रवार दोपहर 2:53 बजे NSE पर HAL के शेयर 1.24% उछलकर ₹4,962.90 पर कारोबार कर रहे थे। निवेशकों में इस खबर से जबरदस्त उत्साह देखा गया।


📆 27 जून को होगी बोर्ड मीटिंग – डिविडेंड पर होगा फैसला

HAL की बोर्ड मीटिंग 27 जून 2025 को प्रस्तावित है, जिसमें वित्त वर्ष 2024-25 के लिए डिविडेंड देने पर फैसला लिया जाएगा। यह भी उम्मीद की जा रही है कि SSLV डील के बाद कंपनी मजबूत डिविडेंड की घोषणा कर सकती है।


🔮 निष्कर्ष: भारत के स्पेस सेक्टर में निजी भागीदारी का नया अध्याय

HAL को यह डील मिलना न सिर्फ कंपनी के लिए बल्कि भारत की अंतरिक्ष रणनीति के लिए भी ऐतिहासिक है। यह फैसला दर्शाता है कि अब भारत सरकार अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी को कॉमर्शियल और निजी कंपनियों के साथ शेयर करने को लेकर तैयार है। इससे भारत की स्पेस इकॉनमी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई ऊंचाई मिल सकती है।

ISRO Completes Development Of SSLV With Another Successful Launch, Set To Transfer Tech To Private Industry

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