भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता, टैरिफ कम करने पर चर्चा

ट्रंप की टैरिफ नीतियां: अमेरिका और भारत के बीच व्यापार वार्ता में नया मोड़, अप्रैल 2 की डेडलाइन नजदीक टैरिफ, वाशिंगटन डी.सी., 31 मार्च 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया टैरिफ नीतियां और भारत के साथ चल रही व्यापार वार्ताएं इस समय वैश्विक व्यापार जगत में

EDITED BY: Vishal Yadav

UPDATED: Monday, March 31, 2025

ट्रंप की टैरिफ नीतियां: अमेरिका और भारत के बीच व्यापार वार्ता में नया मोड़, अप्रैल 2 की डेडलाइन नजदीक

टैरिफ, वाशिंगटन डी.सी., 31 मार्च 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया टैरिफ नीतियां और भारत के साथ चल रही व्यापार वार्ताएं इस समय वैश्विक व्यापार जगत में सबसे चर्चित मुद्दों में से एक हैं। ट्रंप प्रशासन ने 2 अप्रैल, 2025 से “पारस्परिक” (reciprocal) टैरिफ लागू करने की घोषणा की है, जो कई देशों, जिसमें भारत भी शामिल है, पर असर डाल सकती है। इस बीच, दोनों देशों के बीच नई दिल्ली में हुई हालिया बातचीत ने एक संभावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement – BTA) की राह खोली है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियां बाकी हैं।

ट्रंप ने पिछले कुछ हफ्तों में कई बार भारत को “टैरिफ किंग” और “बड़ा दुरुपयोगकर्ता” करार दिया है, यह कहते हुए कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर बहुत उच्च टैरिफ लगाता है। 28 मार्च को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “बहुत स्मार्ट” और “मेरा बहुत अच्छा दोस्त” बताते हुए कहा, “हमने बहुत अच्छी बातचीत की है, और मुझे लगता है कि भारत और हमारे देश के बीच सब कुछ बहुत अच्छे से सुलझ जाएगा।” फिर भी, उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर भारत अपने टैरिफ नहीं कम करता, तो अमेरिका भी उसी अनुपात में जवाबी टैरिफ लगाएगा।

टैरिफ

2 अप्रैल से लागू होने वाले इन टैरिफ में 25% की दर से वाहन और ऑटो पार्ट्स पर शुल्क शामिल है, जो अमेरिका में बेचे जाने वाले लगभग आधे वाहनों को प्रभावित करेगा, भले ही वे अमेरिकी ब्रांड हों लेकिन विदेश में बनाए गए हों। ट्रंप का कहना है कि यह कदम अमेरिकी विनिर्माण को बढ़ावा देगा और घरेलू नौकरियों को सुरक्षित करेगा। लेकिन इस नीति से भारत जैसे देशों पर दबाव पड़ रहा है, जहां अमेरिकी उत्पादों के लिए बाजार तक पहुंच और टैरिफ में कमी की मांग की जा रही है।

नई दिल्ली में 27-28 मार्च को हुई भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में दोनों पक्षों ने बाजार पहुंच बढ़ाने, टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने, और आपूर्ति श्रृंखला एकीकरण पर चर्चा की। भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने बताया कि दोनों देशों ने सितंबर 2025 तक BTA के पहले चरण को अंतिम रूप देने का लक्ष्य रखा है। भारत ने संकेत दिया है कि वह 230 अरब डॉलर के अमेरिकी आयात पर टैरिफ में कटौती करने के लिए तैयार है, जो पिछले कई वर्षों में सबसे बड़ी कटौती होगी। इसके पीछे मकसद है कि ट्रंप की पारस्परिक टैरिफ नीतियों से बचाव हो सके।

हालांकि, वार्ता में कई मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत डेटा स्थानीयकरण, भेदभावपूर्ण कर उपचार, और गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों जैसे गैर-टैरिफ बाधाओं को हटाए। दूसरी ओर, भारत अमेरिकी बाजार में अपने आईटी, फार्मा, और कृषि उत्पादों के लिए बेहतर पहुंच और अधिक वीजा की मांग कर रहा है, ताकि भारतीय पेशेवर अमेरिका में काम कर सकें। लेकिन ट्रंप प्रशासन की “अमेरिका फर्स्ट” नीति और भारत की आत्मनिर्भरता की रणनीति के बीच तालमेल बिठाना आसान नहीं है।

विश्लेषकों का मानना है कि अगर ये टैरिफ लागू हुए, तो भारत के अमेरिका को 73 अरब डॉलर के निर्यात पर असर पड़ सकता है, जिसमें आईटी सेवाएं, फार्मास्यूटिकल्स, और इंजीनियरिंग उत्पाद शामिल हैं। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगले वित्त वर्ष में भारत के अमेरिकी निर्यात में 73 अरब डॉलर तक की गिरावट हो सकती है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका होगा। इसके विपरीत, नीति आयोग (Niti Aayog) का कहना है कि ये टैरिफ भारत के लिए कुछ अवसर भी ला सकते हैं, खासकर विनिर्माण क्षेत्र में, क्योंकि अमेरिका अन्य आपूर्तिकर्ताओं की तलाश कर सकता है।

अमेरिकी बाजार में, ट्रंप की नीतियों ने निवेशकों को चिंतित किया है। 28 मार्च को स्टॉक मार्केट में बड़ी गिरावट देखी गई, जब डो जोंस और नैस्डैक में 700 और 480 अंक की गिरावट दर्ज की गई, क्योंकि निवेशक मुद्रास्फीति और टैरिफ अनिश्चितताओं से डर रहे थे। ट्रंप ने कहा कि उन्हें इस बात से “कोई फर्क नहीं पड़ता” अगर विदेशी ऑटोमेकर्स कीमतें बढ़ाते हैं, लेकिन अर्थशास्त्री चेतावनी दे रहे हैं कि ये टैरिफ मुद्रास्फीति को और बढ़ा सकते हैं, जो पहले से ही फेडरल रिजर्व के लिए चुनौती है।

टैरिफ

इस बीच, भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में ट्रंप और मोदी की व्यक्तिगत दोस्ती एक सकारात्मक कारक के रूप में उभर रही है। फरवरी 2025 में मोदी की वाशिंगटन यात्रा के दौरान दोनों नेताओं ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन अब, 2 अप्रैल की डेडलाइन के साथ, दोनों देशों को तेजी से फैसले लेने होंगे। अगर वार्ता विफल हुई, तो ट्रंप की टैरिफ नीतियां न केवल भारत, बल्कि चीन, यूरोपीय संघ, और अन्य देशों के साथ अमेरिका के संबंधों को भी प्रभावित कर सकती हैं।

इस समय, वैश्विक व्यापार जगत की नजरें 2 अप्रैल पर टिकी हैं। क्या ट्रंप अपनी कठोर नीतियों पर अड़े रहेंगे, या भारत और अन्य देशों के साथ समझौता होगा? यह सवाल अभी अनुत्तरित है, लेकिन यह स्पष्ट है कि ट्रंप की टैरिफ नीतियां न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था, बल्कि पूरी दुनिया के व्यापारिक संबंधों को फिर से परिभाषित कर रही हैं।

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