वित्त वर्ष 2024-2025: भारतीय स्टॉक मार्केट ने 5% की बढ़त के साथ समापन किया, वैश्विक चुनौतियों के बावजूद
भारतीय स्टॉक मार्केट, मुंबई, 31 मार्च 2025: वित्त वर्ष 2024-2025 भारतीय स्टॉक मार्केट के लिए एक मिश्रित लेकिन आखिरकार सकारात्मक वर्ष रहा, जिसमें बाजार ने 5% की बढ़त के साथ समापन किया। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी50, दोनों ने पिछले 12 महीनों में उतार-चढ़ाव देखा, लेकिन आर्थिक सुधार, विदेशी निवेश की वापसी, और घरेलू नीतियों की बदौलत बाजार ने मजबूती दिखाई। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया टैरिफ धमकियों और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं ने निवेशकों को चिंतित किया, लेकिन मार्च में बाजार में उछाल आया, जो पांच महीने की गिरावट के बाद राहत की सांस बन गया।
भारतीय स्टॉक मार्केट: वित्त वर्ष की शुरुआत में, सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही उच्च स्तर पर थे, लेकिन मध्य वर्ष में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और मुद्रास्फीति की बढ़ती चिंताओं ने बाजार को प्रभावित किया। फिर भी, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की सतर्क मौद्रिक नीतियों और सरकार की आत्मनिर्भर भारत पहल ने निवेशकों का भरोसा बनाए रखा। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भी वर्ष के अंत में बाजार में 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया, जो बाजार की रिकवरी में महत्वपूर्ण रहा।

भारतीय स्टॉक मार्केट: मार्च 2025 में, सेंसेक्स ने 77,414.92 के स्तर पर समापन किया, जो वर्ष की शुरुआत के 73,000 से ऊपर था। निफ्टी50 भी 23,500 के करीब पहुंच गया, जो तकनीकी और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में मजबूत प्रदर्शन को दर्शाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बढ़त दीर्घकालिक निवेशकों के लिए सकारात्मक संकेत है, लेकिन ट्रंप की टैरिफ नीतियां, जो भारत जैसे उभरते बाजारों पर असर डाल सकती हैं, अभी भी चिंता का विषय बनी हुई हैं। इन नीतियों के तहत अमेरिका ने कई देशों पर शुल्क बढ़ाने की धमकी दी है, जिससे भारतीय निर्यात और आपूर्ति श्रृंखला पर दबाव पड़ सकता है।
इसके अलावा, घरेलू स्तर पर, वित्त वर्ष के अंत में कंपनियों ने अपने तिमाही परिणाम घोषित किए, जिसमें कई बड़ी कंपनियों ने मुनाफे में वृद्धि दिखाई। सूचना प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स, और ऊर्जा क्षेत्रों ने विशेष रूप से अच्छा प्रदर्शन किया। हालांकि, खुदरा मुद्रास्फीति और बेरोजगारी की दर में सुधार की धीमी गति ने कुछ निवेशकों को सतर्क किया। स्टॉक ब्रोकर्स का कहना है कि अप्रैल 2025 से शुरू होने वाले नए वित्त वर्ष में, बाजार का रुख वैश्विक नीतियों और घरेलू सुधारों पर निर्भर करेगा।

भारतीय स्टॉक मार्केट: ईद-उल-फितर के कारण 31 मार्च को स्टॉक मार्केट बंद रहने से निवेशकों को कुछ असुविधा हुई, लेकिन बाजार के विशेषज्ञों ने इसे अल्पकालिक प्रभाव के रूप में देखा। वे मानते हैं कि जब बाजार 1 अप्रैल को फिर से खुलेंगे, तो निवेशक नए वित्त वर्ष की उम्मीदों और वैश्विक विकास पर नजर रखेंगे। इस बीच, सेबी (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) ने निवेशकों को सलाह दी है कि वे अफवाहों से बचें और दीर्घकालिक निवेश पर ध्यान दें।
इस वर्ष की बाजार यात्रा ने यह साबित किया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक चुनौतियों के बावजूद लचीली बनी हुई है। आने वाले समय में, सरकार और रिजर्व बैंक की नीतियां बाजार की दिशा तय करेंगी, और निवेशक इन विकासों पर करीब से नजर रखेंगे।
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