जय भट्टाचार्य, वॉशिंगटन डीसी, 26 मार्च 2025 – भारतीय मूल के प्रोफेसर और स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ जय भट्टाचार्य को अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ (NIH) का नया डायरेक्टर नियुक्त किया गया है। मंगलवार को अमेरिकी सीनेट ने 53-47 के वोट से उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी, जिसके बाद वे इस प्रतिष्ठित संस्था के प्रमुख बन गए हैं। NIH दुनिया का सबसे बड़ा बायोमेडिकल रिसर्च फंडर है, जिसका सालाना बजट करीब 48 बिलियन डॉलर (लगभग 4 लाख करोड़ रुपये) है। भट्टाचार्य का ये पद संभालना न सिर्फ उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि भारतीय समुदाय के लिए भी गर्व का पल है। उनकी नियुक्ति से अमेरिकी स्वास्थ्य नीति और वैज्ञानिक अनुसंधान में बड़े बदलाव की उम्मीद की जा रही है।
जय भट्टाचार्य: कौन हैं जय भट्टाचार्य?
जय भट्टाचार्य का जन्म 1968 में कोलकाता, भारत में हुआ था। वे स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मेडिसिन में एमडी (1997) और अर्थशास्त्र में पीएचडी (2000) कर चुके हैं। वर्तमान में वे स्टैनफोर्ड में हेल्थ पॉलिसी के प्रोफेसर हैं और स्टैनफोर्ड सेंटर फॉर डेमोग्राफी एंड इकोनॉमिक्स ऑफ हेल्थ एंड एजिंग के डायरेक्टर भी हैं। इसके अलावा, वे नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च के रिसर्च एसोसिएट और स्टैनफोर्ड के कई संस्थानों—जैसे हूवर इंस्टीट्यूशन और फ्रीमैन स्पोगली इंस्टीट्यूट—के सीनियर फेलो हैं। भट्टाचार्य ने अर्थशास्त्र, मेडिसिन, पब्लिक हेल्थ और हेल्थ पॉलिसी जैसे क्षेत्रों में 135 से ज़्यादा रिसर्च पेपर प्रकाशित किए हैं। उनकी खासियत है कमज़ोर तबकों की स्वास्थ्य समस्याओं और सरकारी नीतियों के प्रभाव को समझना।
उन्हें खास तौर पर COVID-19 महामारी के दौरान सुर्खियों में लाया गया था, जब उन्होंने लॉकडाउन और वैक्सीन मांडेट्स की आलोचना की थी। अक्टूबर 2020 में, भट्टाचार्य ने “ग्रेट बैरिंगटन डिक्लेरेशन” नामक एक ओपन लेटर को सह-लेखक के तौर पर लिखा था। इसमें उन्होंने सुझाव दिया था कि लॉकडाउन की बजाय “फोकस्ड प्रोटेक्शन” अपनाई जाए—यानी कम जोखिम वाले लोगों को सामान्य जीवन जीने दिया जाए, ताकि हर्ड इम्यूनिटी बने, और बुजुर्गों जैसे हाई-रिस्क ग्रुप को खास सुरक्षा दी जाए। इस विचार की कई पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स ने निंदा की थी, लेकिन इसके समर्थकों ने इसे वैज्ञानिक बहस की आज़ादी का प्रतीक माना।

जय भट्टाचार्य: सीनेट की मंजूरी और राजनीतिक पृष्ठभूमि
भट्टाचार्य को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नवंबर 2024 में NIH डायरेक्टर के लिए नामित किया था। ट्रंप ने कहा था, “जय और स्वास्थ्य सचिव रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर मिलकर NIH को मेडिकल रिसर्च का गोल्ड स्टैंडर्ड बनाएंगे और अमेरिका की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों—जैसे क्रॉनिक बीमारियों—का हल ढूंढेंगे।” सीनेट में उनकी नियुक्ति का वोट 25 मार्च 2025 को हुआ, जो पार्टी लाइंस पर बंटा रहा। रिपब्लिकन सीनेटरों ने उनका समर्थन किया, जबकि डेमोक्रेट्स ने उनकी महामारी से जुड़ी राय और NIH के मौजूदा ढांचे में बदलाव की आशंका को लेकर सवाल उठाए।
सीनेट की हेल्थ, एजुकेशन, लेबर एंड पेंशन्स कमेटी में 5 मार्च को हुई सुनवाई में भट्टाचार्य ने कहा था, “NIH एक क्रॉसरोड्स पर है। पिछले कुछ सालों में इसके अधिकारियों ने असहमति को दबाया और पारदर्शिता की कमी दिखाई। मैं एक ऐसी संस्कृति लाना चाहता हूँ, जहाँ वैज्ञानिक बहस और आज़ादी को बढ़ावा मिले।” उन्होंने ये भी वादा किया कि वे अल्ज़ाइमर, डायबिटीज़ और मोटापे जैसी बीमारियों पर फोकस करेंगे और रिसर्च फंडिंग को तेज़ व नवाचार-केंद्रित बनाएंगे।
जय भट्टाचार्य: NIH क्या है और क्यों है अहम?
नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ अमेरिका की सबसे बड़ी मेडिकल रिसर्च एजेंसी है, जो 27 अलग-अलग संस्थानों और सेंटरों से मिलकर बनी है। ये हर साल 50,000 से ज़्यादा ग्रांट्स के ज़रिए 300,000 से अधिक शोधकर्ताओं को फंड देती है, जो 2,500 से ज़्यादा यूनिवर्सिटीज़ और मेडिकल स्कूलों में काम करते हैं। इसका बजट भारत के इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के 2024-25 बजट (2732.13 करोड़ रुपये) से करीब 150 गुना ज़्यादा है। NIH कैंसर, डायबिटीज़, वैक्सीन डेवलपमेंट और महामारी से जुड़े रिसर्च में अहम भूमिका निभाती है। भट्टाचार्य इसके 18वें डायरेक्टर होंगे और इसे नए दिशा-निर्देश देने की ज़िम्मेदारी उनके कंधों पर होगी।

जय भट्टाचार्य: विवाद और समर्थन
भट्टाचार्य की नियुक्ति को लेकर दो धड़े साफ दिखाई दिए। उनके समर्थकों—जैसे रिपब्लिकन सीनेटर मिच मैककॉनल—ने कहा, “जय NIH को मजबूत नेतृत्व देंगे। उनका मेडिकल रिसर्च का अनुभव इसे नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।” वहीं, उनके आलोचकों का कहना है कि उनकी लॉकडाउन विरोधी राय और वैक्सीन मांडेट्स पर सवाल वैज्ञानिक समुदाय में भरोसा कम कर सकते हैं। जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लॉरेंस गोस्टिन ने NPR को बताया, “जय एक सम्मानित हेल्थ इकोनॉमिस्ट थे, लेकिन अब वे साइंस के प्रति संदेह और NIH के खिलाफ नाराज़गी दिखाते हैं। इससे एजेंसी कमज़ोर हो सकती है।”
ग्रेट बैरिंगटन डिक्लेरेशन को लेकर भी बहस छिड़ी थी। तत्कालीन NIH डायरेक्टर फ्रांसिस कॉलिन्स ने इसे “खतरनाक और गैर-वैज्ञानिक” कहा था। लेकिन भट्टाचार्य के समर्थक, जैसे मार्टिन कुलडॉर्फ (डिक्लेरेशन के सह-लेखक), मानते हैं कि वे NIH में “ग्रुपथिंक” की संस्कृति को खत्म करेंगे और सबूत-आधारित साइंस को बढ़ावा देंगे।
भट्टाचार्य की योजनाएं
सुनवाई के दौरान भट्टाचार्य ने अपनी प्राथमिकताएं साफ कीं। उन्होंने कहा, “NIH का ग्रांट सिस्टम धीमा और जटिल है। मैं इसे तेज़ करूंगा और युवा, इनोवेटिव रिसर्चर्स को मौका दूंगा।” उन्होंने जोखिम भरे रिसर्च—जैसे वायरस की उत्पत्ति पर काम—को सख्ती से रेगुलेट करने की बात भी कही। इसके अलावा, वे क्रॉनिक डिज़ीज़ पर बड़े प्रोजेक्ट्स को फंड देना चाहते हैं, ताकि छोटे-छोटे कदमों की बजाय बड़े बदलाव आएं। हाल ही में NIH में 1,000 कर्मचारियों की छंटनी और ग्रांट्स पर रोक की खबरों पर उन्होंने कहा, “मैं इसमें शामिल नहीं था, और मेरा इरादा किसी को हटाने का नहीं है। साइंटिस्ट्स को फंडिंग मिलेगी।”
जय भट्टाचार्य: भारतीय समुदाय की प्रतिक्रिया
भारत में इस खबर को गर्व से देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर #JayBhattacharya ट्रेंड कर रहा है। X पर एक यूज़र ने लिखा, “जय भट्टाचार्य का NIH डायरेक्टर बनना भारत की प्रतिभा का सम्मान है।” कई लोगों ने इसे कमला हैरिस और विवेक रामास्वामी जैसे भारतीय-अमेरिकियों की सफलता से जोड़ा। अहमदाबाद की एक टीचर, प्रीति मेहता ने कहा, “ये दिखाता है कि भारतीय मूल के लोग दुनिया में कितना योगदान दे सकते हैं।”

आगे क्या?
भट्टाचार्य अब रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर (HHS सचिव) के साथ मिलकर काम करेंगे। कैनेडी, जो वैक्सीन स्केप्टिक रहे हैं, और भट्टाचार्य की जोड़ी से कुछ लोग चिंतित हैं कि वैक्सीन पॉलिसी बदल सकती है। लेकिन भट्टाचार्य ने साफ किया कि वे मीजल्स वैक्सीन और ऑटिज़्म के बीच कोई लिंक नहीं मानते, हालाँकि वे इस पर डेटा-आधारित रिसर्च को सपोर्ट करेंगे। उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है, जब NIH हाल के कट्स और स्टाफिंग संकट से जूझ रही है। उनकी अगुवाई में ये एजेंसी फिर से दुनिया की सबसे भरोसेमंद रिसर्च संस्था बन पाएगी या नहीं, ये वक्त बताएगा।
जय भट्टाचार्य: स्कोरकार्ड
- नाम: जय भट्टाचार्य
- जन्म: 1968, कोलकाता, भारत
- शिक्षा: स्टैनफोर्ड से MD और PhD
- पद: NIH डायरेक्टर
- सीनेट वोट: 53-47
- प्रमुख योगदान: ग्रेट बैरिंगटन डिक्लेरेशन, 135+ रिसर्च पेपर
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